डीपीएस बस हादसे में प्रिंसीपल की गिरफ्तारी पर आक्रोश,शिक्षा से जुड़े लोग होने लगे लामबंद

इंदौर, दिल्ली पब्लिक स्कूल बस हादसे में स्कूल के पूर्व प्रिंसीपल सुदर्शन सोनार की गिरफ्तार का बुद्धिजीवियों द्वारा अंदर ही अंदर विरोध शुरू हो गया है। अनेक बुद्धिजीवियों का कहना है कि अगर बस हादसे में प्रिंसीपल जिम्मेदार हो सकता है तो जानकारों और कानूनविदों के अनुसार अन्य हादसों में कलेक्टर, महापौर और मंत्री भी जिम्मेदार होकर जेल जा सकते हैं।
कल ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हाईकोर्ट के आदेश को पलटाते हुए कहा कि हमेशा गाड़ी को पीछे से टक्कर मारने वाले ड्रायवर को ही दोषी नहीं माना जा सकता। यहां तक कि अभी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सुरक्षित सड़कों के डिजाइन और निर्माण को लेकर एक नियमावली तैयार करने को कहा जिसमें उन्होंने खुद माना कि ८० प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण सड़कों के निर्माण के प्रोजेक्टों की खामियां रहती है। डीपीएस बस का हादसा भी उस इंदौर बायपास पर हुआ, जहां आए दिन इस तरह की दुर्घटनाएं होती हैं और मासूम बच्चों की मौत नि:संदेह सभी के लिए खुद की घड़ी रही। पूरा शहर इस गम में परिजन के साथ खड़ा भी नजर आया। इसमें कोई दो मत नहीं कि दोषियों को सजा मिलना चाहिए और इसके लिए स्कूल के मालिकों को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, मगर उनका नाम तो कहीं पर भी किसी जांच रिपोर्ट या पुलिस-प्रशासन, परिवहन की कार्यवाही में नजर नहीं आया। सिर्फ प्रिंसीपल को दोषी मानकर गिरफ्तार किया। सवाल यह है कि नौकरी करने वाले प्रिंसीपल को कैसे इन बस हादसे का दोषी माना जा सकता है।
कानूनविदों का कहना है कि अगर इस मामले को उदाहरण मान लिया जाए तो रोजाना देशभर में सैकड़ों-हजारों दुर्घटनाएं होती है। सड़क हादसों के अलावा विमान या रेल हादसे भी आए दिन होते हैं तो क्या इसके लिए रेलमंत्री या संबंधित विभाग के मंत्री और आला अफसर को जेल भिजवा दिया जाएगा। इंदौर में ही सरकारी बस कम्पनी गठित है जिसका नाम एआईसीटीएसएल है, जो शहर की सड़कों पर सिटी बसें और बीआरटीएस कॉरिडोर पर आईबसों का संचालन करने के अलावा इंदौर से उज्जैन, भोपाल से लेकर अन्य शहरों और शिर्डी, पुणे, मुंबई तक चार्टर्ड बसें संचालित करती है। इसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में चेयरपर्सन महापौर श्रीमती मालिनी गौड़, वाइस चेयरपर्सन प्राधिकरण अध्यक्ष शंकर लालवानी और डायरेक्टरों में कलेक्टर निशांत वरवड़े, प्राधिकरण सीईओ गौतमसिंह और निगमायुक्त मनीषसिंह इसके एमडी हैं तो संयुक्त कलेक्टर संदीप सोनी सीईओ के रूप में काबिज है। पूर्व में सिटी या चार्टर्ड बस भी इस तरह की दुर्घटनाओं का शिकार हो चुकी है तो क्या भविष्य में इन बसों से अगर कोई नागरिक कुचलकर मर जाता है तो प्रिंसीपल की तरह महापौर और कलेक्टर को जेल जाना पड़ेगा।

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