श्रीनगर,जम्मू के सुंजवान में सेना के कैंप पर हुए फिदायीन हमले ने सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। अब तक आतंकी कश्मीर में मौजूद सेना के कैंप को ही निशाना बनाते रहे हैं। लेकिन जम्मू में जिस तरह से यह हमला अंजाम दिया गया है, उससे साफ है कि आतंकी सिर्फ कश्मीर तक ही सीमित नहीं हैं। इस बीच जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर ने इस हमले में रोहिंग्याओं की भूमिका को लेकर बड़ा बयान दे दिया है। हमले में रोहिंग्या कनेक्शन के दावे ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भौगोलिक नजरिए से देखें तो जिस जगह पर यह हमला हुआ है, वह जगह सुंजवान जम्मू के रिहायशी इलाके में है। नेशनल हाईवे 44 के पास बने इस सेना के कैंप से जम्मू यूनिवर्सिटी की दूरी सात किलोमीटर से भी कम है। इस पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर कविंद्र गुप्ता ने कहा है कि जम्मू में हुए इस हमले में रोहिंग्याओं का हाथ हो सकता है। उन्होंने आशंका जताई कि आतंकवादियों ने जम्मू में रह रहे रोहिंग्याओं को अपना हथियार बनाकर इस हमले को अंजाम दिया है। बता दें कि जम्मू के बाहरी इलाकों में बड़ी संख्या में रोहिंग्या पिछले काफी समय से शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। जम्मू में बांग्लादेशियों की संख्या भी ज्यादा है। राज्य की बीजेपी-पीडीपी सरकार उन्हें बिजली के कनेक्शन दे रही है। बताया जा रहा है कि वर्ष-2008 से 2017 तक 7,273 बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को बिजली कनेक्शन दिए गए। इन कनेक्शनों से बिजली विभाग ने 142.53 लाख रुपए का बिजली बिल बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों से वसूला है। हालांकि विभाग का दावा है कि इन्हें दिए गए यह कनेक्शन अस्थाई हैं। बिजली विभाग का यह भी दावा है कि उसके पास इन लोगों ने स्थाई कनेक्शन के लिए भी आवेदन किए हैं। इसके लिए इन परिवारों ने आधार कार्ड, राशन कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज भी दिए हैं। सवाल यह है कि इन लोगों के पास यह दस्तावेज कहां से आए। जाहिर है कि स्थानीय अधिकारी और कर्मचारियों की उनसे मिलीभगत है। तब उनकी आतंकवादियों से मिलीभगत होने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता।