नई दिल्ली,गुजरात से लेकर राजस्थान तक बीते दो महीने में आए चुनावी नतीजों ने कांग्रेस के तेवरों को ताकत दी है। राहुल गांधी की अगुवाई में आक्रामक होती चली जा रही कांग्रेस ने बीते दो महीनों में अपनी रणनीति में एक अहम बदलाव किया है। वह है सरकार पर सतत और सधे हुए प्रहार करते रहना। इस रणनीति में कांग्रेस सरकार के तर्कों का मुकाबला आंकड़ों और तथ्यों के पैने तीरों से कर रही है।
सरकार को अपने सवालों की जवाबदेही पर लाने की इस रणनीति का चेहरा तो नए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ही हैं, लेकिन इसका पर्दे के पीछे आंकड़ों के धनुर्धरों की बाकायदा एक टीम बनाई गई है। इस टीम की अगुवाई कर रहे हैं डाटा विश्लेषण के नामी धुरंधर प्रवीण चक्रवर्ती, जिन्हें कांग्रेस पार्टी की विश्लेषण टीम का मुखिया बनाने का एलान खुद राहुल गांधी ने किया था। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, मैं प्रवीण चक्रवर्ती की अगुवाई में डाटा विश्लेषण विभाग की घोषणा करते हुए बहुत उत्साहित हूं। प्रवीण चक्रवर्ती बिरला इस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी और अमेरिका के व्हार्टन स्कूल से शिक्षित हैं। वह आईबीएम और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों में काम करने के साथ ही अर्थशास्त्र और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा चुके है। यह पहला मौका नहीं है, जब प्रवीण कांग्रेस से जुड़े हैं। 2010 में नौकरी छोड़कर वह नंदन नीलेकणी की अध्यक्षता में आधार परियोजना के लिए बने यूआईडीएआई की पहली टीम में भी शामिल हुए थे। बता दें कि राहुल ने बीते दो महीनों में पार्टी के कामकाज और प्रबंधन में कई अहम बदलाव किए हैं। इसी कड़ी में पार्टी के पारम्परिक कंप्यूटर विभाग को बदलकर डाटा विश्लेषण विभाग कर दिया गया है। फिलहाल यह काम केवल पांच लोगों की छोटी सी टीम कर रही है, लेकिन आगे इसका विस्तार होना है। इस टीम का काम देश में कांग्रेस पार्टी व उसके नेताओं की लोकप्रियता का सर्वे, प्रचार अभियान फीडबैक का विश्लेषण और चुनाव प्रबंधन के लिए ज़रूरी डाटा तैयार करने का है। यह विभाग पार्टी अध्यक्ष के लिए पार्टी के कामकाज की जानकारी जुटाने वाला एक स्वतंत्र चैनल भी होगा। इस टीम की अहमियत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रवीण चक्रवर्ती सीधे कांग्रेस प्रमुख को ही रिपोर्ट करते हैं। यह टीम राहुल के लिए उन तथ्यों और आंकड़ों को विश्लेषण के साथ पेश करती है, जिसका इस्तेमाल वह अपने भाषणों में करते हैं। सरकार की तरफ से दिए जा रहे तथ्यों की काट और पार्टी के प्रतिकार की रणनीति तय करने में भी इस टीम की अहम भूमिका है। इस टीम के काम का असर राहुल गांधी के ताजा ट्वीट्स और बयानों में नज़र आता है। संसद में धन्यवाद प्रस्ताव पर मोदी के भाषण के बाद राहुल ने जो हमला बोला, उसमें बेरोजगारी के आंकड़ों के साथ सरकार को घेरने का प्रयास किया गया।
उन्होंने कहा था, हर रोज 30 हजार युवा नौकरी के बाजार में आते हैं, जिनमें से हम 450 को ही नौकरी दे पा रहे हैं। उन्होंने किसानों की आत्महत्या और सीमा पर भारत के लिए बढ़ते खतरों का भी मुद्दा उठाया था। राहुल गांधी के आक्रामक तेवरों से पार्टी नेता भी उत्साहित हैं। राहुल समझ चुके हैं कि मुकाबला अगर नरेंद्र मोदी और सरकार में बैठी उनकी टीम से है तो ज़रूरी है कि राजनीतिक वार के साथ ही तथ्य धारदार और आंकड़े वज़नदार हों। यूपीए सरकार के दौरान उजागर हुए टूजी घोटाले में एक लाख 76 हज़ार करोड़ के घाटे के आंकड़े ने ही कांग्रेस की साख खराब की थी। यह आंकड़ा ऐसा था कि उसे नकारने के लिए कांग्रेस ने जो भी कहा, उससे उसका ही नुकसान हुआ। अब कांग्रेस की कोशिश मोदी की दलीलों का चक्रव्यूह तोड़ने की है। 2019 के चुनावी समर का औपचारिक शंखनाद भले ही कभी भी हो, लेकिन सेनाओं ने अपनी तैयारी में कमर कसना शुरू कर दी है।