लालू की पेशी और बिहार के पूर्व सीएस की अदालत में गवाही हुई

रांची,चारा घोटाले मामले में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से जुड़े एक अन्य मामले में आज सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुए। अदालत में सीबीआई की ओर से गवाही दर्ज करायी गयी। वहीं दुमका कोषागार से जुड़े अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद की पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई।
डोरंडा कोषागार मामले में सीबीआई की ओर से बिहार के पूर्व मुख्य सचिव बीएस दूबे की गवाही दर्ज की गयी। सीबीआई के वरीय विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि बीएस दूबे को गवाह संख्या 465 के रुप में दर्ज किया गया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि पशुपालन घोटाला के विषय में उनकी जानकारी 22 जनवरी 1996 को हुई,महालेखाकार के मासिक सिविल एकाउंट वित्त विभाग में आने के बाद उसकी जांच करने पर ये बात सामने आया। उन्होंने बताया कि वर्ष 1995-96 के लिए पशुपालन विभाग का बजट लगभग 72 करोड़ रुपया था, उसके विरुद्ध नवम्बर 1995 में 117 करोड़ रुपये खर्च हो चुका था और अक्टूबर 1995 तक का खर्च 95 करोड़ था। इस प्रकार यह स्पष्ट हुआ कि मात्र एक माह में 60 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च हुआ। जबकि प्रत्यालिपित खर्च 7-8 करोड़ रुपये का होना चाहिए था , इसी खर्च को देखते हुए उन्होंने19 जनवरी 1996 को सभी जिलों के दंडाधिकारियों को फैक्स भेजवाया, जिसमें दोनों माह में कुल खर्च का बिल वाइज पूर्व विवरणी भेजने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा वित्त विभाग के अपर सचिव मान सिंह को एक टीम के साथ रांची और डोरंडा कोषागार में जाकर पशुपालन विभाग को उस खर्च की जानकारी लेने को कहा । उन्होंने अधिकारियों को कहा कि जांच कर यह बताये कि किस यूनिट में कितना खर्च हुआ और वाउचर को भी जब्त करने को कहा।उन्होंने वहां जाकर फोन पर बताया कि रांची, चाईबासा, दुमका, देवघर, जमशेदपुर, भागलपुर आदि जिलों में भारी गोलमाल हुआ है। सारा बिल और आवंटन पत्र फजी निकला. चाईबासा में जांच टीम गयी तो वहां भगदड़ मच गयी। एक व्यक्ति भाग रहा था, भूसा के बोरा में रुपये भरकर छिपाया गया था। उसके घर से 30 लाख रुपये, अलमीरा से सोना-चांदी के जेवरात काफी मात्रा में मिल थे। भूसा के बोरा में रुपये भरकर छिपाया गया था। कुछ कर्मचारी बैंक से रुपये निकालकर रांची की ओर भाग रहे थे, तो उन्होंने रांची के जिला अधिकारी को खबर किया, लेकिन वह गाड़ी उड़ीसा की ओर चली गयी तब समझ में आया गया कि उन जिलों में अत्यधिक मात्रा में कपटपूर्ण निकासी की गयी। जांच अधिकारी मान सिंह कागजात लेकर पटना लौटे,उनकी रिपोर्ट की जांच की तब उन्होंने वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री को आपराधिक मामला दर्ज करने को लिखा, इसी बीच लोक लेखा समिति से उन्हें पत्र मिला कि यह मामला आप दर्ज नहीं कर सकते है, यह मेरा क्षेत्राधिकार का मामला है, आपका नहीं. इसके बाद वे मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आवास पर गया और कहा कि यह आपराधिक जांच का मामला है। इसके बाद लालू ने मामले की जांच का आदेश दिया। तब उन्होंने आपराधिक जांच काटकर ट्रेजरी वाइज जांच करने का निर्देश दिया।

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