नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ जजों के विवाद से खुद को दूर रखने में कामयाब रही सरकार अब जजों की नियुक्ति के विवाद में है। सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर टकराव सामने आया है। यह टकराव सरकार और सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के बीच है। सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस केएम जोसेफ़ पर सरकार को ऐतराज है। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट कोलिजियम ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस के एम जोसेफ़ और वरिष्ठ वक़ील इंदु मल्होत्रा का नाम भेजा है, लेकिन जोसेफ़ के नाम पर हरी झंडी नहीं दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों में कहा गया है कि जजों की नियुक्ति में वरिष्ठता का ध्यान रखा जाए, लेकिन जोसेफ़ अखिल भारतीय सूची में 45वें और चीफ़ जस्टिस की सूची में 12वें क्रम पर हैं। सिफारिश में क्षेत्रीय संतुलन भी होना चाहिए। बॉम्बे हाईकोर्ट से तीन जजों के नाम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए भेजे गए, जबकि गुजरात से कोई नाम नहीं आया। सरकार के कदम पर विपक्ष की नजऱें है। उसका कहना है कि सरकार को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने कहा कि सरकार सिर्फ सुरक्षा जांच जैसे मुद्दों पर दखल दे सकती है। अन्य किसी मुद्दे पर उसे सवाल उठाने का अधिकार नहीं है। कॉलेजियम सूत्रों का कहना है कि अगर सरकार उनका नाम लौटाती है तो वह उसे दोबारा सरकार के पास भेज देगी। साथ ही सरकार दो नामों को अलग नहीं कर सकती। यानी वो या तो दोनों को एक साथ मंज़ूर करे या नामंज़ूर, लेकिन एक को स्वीकार और दूसरे को अस्वीकार नहीं कर सकती। हालांकि सरकारी सूत्रों ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है। यानी यह भी हो सकता है कि सरकार इंदु मल्होत्रा के नाम पर मुहर लगाए और जोसेफ़ के नाम को वापस भेज दे।