जबलपुर,देश की राजनीति में कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो मरने के बाद श्मसान में भी कुर्सियों से चिपके रहना चाहते हैं । ये कहना है प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे का। जबलपुर पहुंचे अन्ना हजारे ने देश के वर्तमान हालात पर खुलकर चर्चा की और मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उनका कहना था कि अंग्रेजों ने जो अपने शासन काल में तानाशाही का रवैया अपनाया था मोदी सरकार उसी की ओर बढ़ रही है ।
समाजसेवा के इस दरख्त की शाखाएं पकड़कर न जाने कितने ही लोग राजनीति के शिखर पर पहुंच गये हैं । लेकिन इसे लेकर अन्ना पहले से ज्यादा चौकन्ना हो चुके हैं। जबलपुर पहुंचे अन्ना हजारे सरकार के बजट पर बरसे। अन्ना ने पहले तो किसानों की आय दोगुना करने के ऐलान पर सवाल उठाये। सरकार किसानों की आय दोगुना करने का वादा कर रही है जबकि पूरी तरह से दिखावा है। कैसे कर देंगे दोगुना, सरकार के पास कोई जादू है क्या । क्योंकि किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सरकार के पास अब तक कोई नीति नहीं है। वह केवल दिखावा और दिखावा ही कर रही है। पूछने पर सरकार का जवाब होता है कि इस बारे में नीति आयोग से सलाह ली जा रही है ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके ।
कहते हैं दूध का जला दही भी फूंक फूंक कर पीता है, अन्ना का राजनैतिक लाभ उठाने वाले केजरीवाल जैसी तमाम हस्तियों की चर्चा ने यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा। हालाकि अन्ना ने खुद के पहले से ज्यादा सावधान होने और शपथ पत्र लेकर लोगों को जोड़ने की बात दोहराई । उनका कहना था कि करीब पांच हजार लोगों ने उन्हें शपथ पत्र दे दिये हैं कि वे न तो राजनीति में आयेंगे और न ही कभी चुनाव लड़ेंगे।
हर गरीब में राम है
देश के सूरतेहाल के लिये अन्ना हजारे ने नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की जमकर आलोचना की। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि प्रधानमंत्री को देश के किसानों से ज्यादा उद्योगपतियों की फिक्र है। मौजूदा सरकार ने लोकपाल तो पारित नहीं किया लेकिन उससे पहले ही उसे कमजोर करने वाला कानून बिना चर्चा के पास करवा लिया। मोदी सरकार अंग्रेजों के वक्त की बर्तानी हुकूमत की तरह तानाशाही अख्तियार करनें में जुटी है,अब बची देश में हाल फिलहाल की सियासत तो अन्ना हजारे इसे लेकर बेहद मायूस नजर आये। उन्होंने मुल्क की सियासत में कुछ ऐसे लोगों की जमात बताई जो मरने के बाद श्मशान जाते वक्त भी अपनी कुर्सियों से चिपके रहना चाहते हैं । उत्तर प्रदेश में कासगंज हिंसा का मामला हो या फिर राम मंदिर का मसला अन्ना इन पर हो रही सियासत से बेहद हताश नजर आये। उन्होंने सांप्रदायिकता के लिये सियासी दलों को सीधा जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि पक्ष और पार्टियॉ ही मजहब और जातियों के नाम पर खाई बढ़ाने का काम करती हैं। रही बात राम मंदिर की तो हर दीन दुखी गरीब में राम है और उसकी सेवा ही राम की सेवा है।
अन्ना ने चीन को भी तल्खी भरे लब्जों में चुनौती दी कि वह भारत को कमजोर न समझे। हालात सन् 1962 के अब नहीं रहे। अन्ना की इस बात में कोई शक नहीं कि देश में कई ऐसे सियासी ओहदेदार हैं जिनका मकसद महज धन कमाना है। यह कहा जाता है कि लाख जमा कर लोग हीरे मोदी पर यह जान लो कफन में जेब नहीं होती।