नई दिल्ली, राहुल गांधी ने कहा है कि रक्षा विशेषज्ञों का यह दावा सही नहीं है की राफेल डील सस्ते में हुई है । उन्होंने कहा है कि अगर मोदी जी ने राफेल डील सस्ते में की होती तो प्रधानमंत्री के भाषण में इसका जिक्र जरुर होता। राहुल गांधी ने सरकार से इससे जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है। राहुल ने यही सब बातें मंगलवार को भी कही थीं। बता दें कि वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन की ज़रूरत है, जबकि अभी सिर्फ 33 स्क्वाड्रन्स ही मौजूद हैं। वायुसेना के एक फाइटर स्क्वैड्रन में अमूमन 18 से 20 विमान होते हैं। दो मोर्चों पर मज़बूत रहने के लिए वायुसेना को 42 स्क्वैड्रन्स की दरकार है। पुराने लड़ाकू विमानों के रिटायर होने के कारण 2027 तक विमानों की संख्या और घटेगी। इसलिए फ्रांस से 59 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल फाइटर लड़ाकू विमानों का सौदा किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नियमों के तहत सरकार कीमत से जुड़े सारे विवरण सार्वजनिक नहीं कर सकती है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार ने यूपीए की तुलना में सस्ती डील की है। जबकि
कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर मोदी सरकार पर न सिर्फ हमला बोला है, बल्कि घोटाले का आरोप भी लगाया। उसने मंगलवार को मोदी सरकार पर राफेल लड़ाकू विमान सौदा कर राष्ट्रीय हित एवं सुरक्षा के साथ समझौता करने का आरोप लगाया था और कहा था कि इसमें घोटाले की बू आ रही है, क्योंकि सौदे में कोई पारदर्शिता नहीं है। राहुल गांधी ने भी इस सौदे को लेकर ट्वीट के जरिए सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था, प्रत्येक राफेल विमान के लिए प्रधानमंत्री और उनके भरोसेमंद मित्र के बीच हुई बातचीत एक राजकीय गोपनीयता है। राहुल ने कहा था, मूल्य के बारे में संसद को सूचित करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होगा। जो भी पूछेगा, उसे राष्ट्र विरोधी घोषित कर दिया जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने इस ट्वीट पर हैशटैग दिया था, बड़ा राफेल रहस्य। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को इसी मुद्दे पर कहा कि सरकार राफेल का मूल्य का संसद में भी खुलासा नहीं करना चाहती, जिससे उसकी मंशा पर सन्देह होता है। राहुल गांधी ने भी संसद में कहा, मोदी सरकार राष्ट्रीय हित एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने के माफ नहीं किए जाने वाले खेल में लगी है। उन्होंने कहा कि अगर मोदी ने राफेल सौदा वास्तव में सस्ते में किया है तो उन्हें संसद में इस विषय पर बात करने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री जी ने तो अपने भाषण में तक इसकी चर्चा नहीं की। इसका मतलब यह है कि सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने मांग की है कि सरकार संसद में राफेल सौदे से जुड़े सभी तथ्य पेश करे।