पटना,बिहार में इस वक्त बंगला राजनीति चरम पर है। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास अब तीन बंगले हो गए हैं, दूसरी तरफ पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव उन्हें उपमुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित बंगले को छोड़ने से इंकार कर रहे हैं। जबकि बिहार सरकार का भवन निर्माण विभाग तेजस्वी पर बंगला खाली करने के लिए दबाव बना रहा है। बता दें कि मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार को एक अणे मार्ग पर आलीशान बंगला आवंटित है, जहां वह 2005 से रह रहे हैं। हालांकि, 2014 में लोकसभा चुनाव में जदयू की हार के बाद नीतीश को यह बंगला खाली करना पड़ा था। दरअसल, हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उनकी जगह पर जीतन राम मांझी नए मुख्यमंत्री बने थे और वह इस बंगले में रहने लगे थे। पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार को 7-सर्कुलर रोड का बंगला आवंटित किया गया। अब हुआ यह है कि एक अणे मार्ग में रहने के बावजूद नीतीश के नाम पर अब भी 7-सर्कुलर रोड का बंगला आवंटित है। इसी बीच पिछले हफ्ते यह खबर आई कि नीतीश को दिल्ली में भी एक बंगला केंद्र सरकार द्वारा दिया गया है। इसीलिए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश पर हमला बोला है और कहा है कि नीतीश का परिवार बहुत छोटा है, जिसमें सिर्फ एक बेटा है, फिर उन्हें तीन-तीन बंगलों की क्या आवश्यकता है? मगर बंगला राजनीति में सभी एक जैसे हैं। उपमुख्यमंत्री के तौर पर तेजस्वी यादव को 5- देशरत्न मार्ग का बंगला आवंटित किया गया था। आरजेडी के हाथ से सत्ता चली गई तो नई सरकार ने तेजस्वी को यह बंगला खाली करने का फरमान सुना दिया। बिहार सरकार ने उन्हें 1-पोलो रोड का बंगला आवंटित किया था। सरकार ने तेजस्वी का बंगला उपमुख्यमंत्री के तौर पर सुशील मोदी को आवंटित कर दिया, मगर उन्होंने बंगला खाली नहीं किया है। इसे लेकर उन्होंने पटना हाईकोर्ट में याचिका भी डाल रखी है, जिस पर सुनवाई चल रही है। इसलिए बिहार सरकार तेजस्वी से बंगला खाली कराने में असमर्थ है। सरकार इंतजार कर रही है कि हाईकोर्ट से इस मामले पर कोई फैसला आ जाए।