नई दिल्ली,अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पाया कि उन लोगों के सोने और उठने के चक्र में गड़बड़ी बहुत पहले पाई गई जिनकी याददाश्त संबधी क्षमता अच्छी थी। ऐसे लोगों के मस्तिष्क की जांच करने पर अल्जाइमर के शुरुआती संकेत का पता चला। यह रोग लक्षणों के दिखाई पड़ने से 15 से 20 साल पहले ही मस्तिष्क में अपनी जड़ें जमाना शुरू कर देता है।शोधकर्ताओं को चूहों पर किए गए एक परीक्षण में पता चला कि नींद की गड़बड़ी मस्तिष्क में ऐमिलॉइड नामक प्रोटीन की वृद्धि को प्रेरित कर देती है। इसका संबंध अल्जाइमर से होता है। गुणों से भरपूर हल्दी की एक और खूबी सामने आई है। नए शोध का दावा है कि भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली हल्दी से बढ़ती उम्र में स्मृति को बेहतर करने के साथ ही भूलने की बीमारी अल्जाइमर के खतरे को कम किया जा सकता है। यह निष्कर्ष याददाश्त संबंधी समस्या से पीड़ित 50 से 90 साल के 40 लोगों पर किए गए अध्ययन से निकाला गया। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया पीड़ितों के मस्तिष्क पर करक्यूमिन सप्लीमेंट के प्रभाव पर गौर किया। करक्यूमिन हल्दी में पाया जाने वाला एक रासायनिक कंपाउंड है। पूर्व के अध्ययनों में इस कंपाउंड के सूजन रोधी और एंटीआक्सीडेंट गुणों का पता चला था। संभवत: यही कारण है कि भारत के बुजुर्गों में अल्जाइमर की समस्या कम पाई जाती है। अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता गैरी स्माल ने कहा कि करक्यूमिन के सटीक प्रभाव का अभी पता नहीं चल सका है, लेकिन मस्तिष्क में सूजन कम करने वाला इसका गुण वजह हो सकता है। मस्तिष्क में सूजन का संबंध अल्जाइमर और डिप्रेशन से होता है।