दिग्विजय ने शिवराज की एकात्म यात्रा पर सवाल उठाये,आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना पर भी आपत्ति जताई

नरसिंहपुर,पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा द्वारा हॉल में निकाली जा रही एकात्म यात्रा पर कई सवाल खडे किए। उन्होंने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना को लेकर भी आपत्ति दर्ज कराई है। वर्तमान में धार्मिक यात्रा पर चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा नरसिंहपुर के सांकल घाट पहुंची। अब तक सियासी बयानों से दूर रहे दिग्विजय ने यहां भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश भर में निकाली गई एकात्म यात्रा को लेकर बड़े सवाल खड़े किये हैं। दिग्विजय ने ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर भी सरकार पर हमला बोला है और कहा है कि सरकार ने प्रमाणिक इतिहास को पलटने का प्रयास किया है। आदीशंकराचार्य ने यहीं सांकल ग्राम में बनी गुरु गुफा में दीक्षा ली थी, यही गुरु गुफा है। सांकल घाट पहुंचे दिग्विजय ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने एकात्म यात्रा और आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना को लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि सरकार प्रतिमा स्थापना का इतना बड़ा निर्णय करने के पहले कम से कम आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों मठों के प्रमुख संतों से ही पूछ लेते। हिंदू धर्म के इतने बड़े शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती मप्र से ही है पर उनसे तक बात नही की। इसे सिर्फ बीजेपी की यात्रा बना दिया, जब यात्रा निकाली ही थी तो सभी को बुलाना था।
आपको बता दें कि पिछले दिनों स्वरूपानंद सरस्वती ने भी एकात्म यात्रा को लेकर सवाल उठाये थे और इस पूरी तरह राजनीतिक हितों को साधने वाली यात्रा बताया था और सरकार पर इतिहास से छेड़छाड़ करने के भी आरोप लगाए थे। अब दिग्विजय ने भी खुलकर इस मामले को आपत्ति जताई है, जिससे एक बार फिर आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना का मामला गरमा गया है। दिग्विजय ने ग्रंथों और कई इतिहासकारों की किताबों के आधार पर दावा किया कि नर्मदा के उस पर साकल ग्राम के सघन वन में एक गुफा है। यह गुफा बिल्कुल वैसे ही दिखाई देती है जैसा कि प्राचीन ग्रन्थ में आदि शंकराचार्य की गुफा के संबंध में वर्णन है। उन्होंने बताया कि नरसिंहपुर गजेटियर में भी पाया गया है कि यह गुफा आदि शंकराचार्य के गुरू गोविंदभगवत्पाद की थी। उन्होंने कहा साकल ग्राम स्थित गुफा में ही आदि शंकराचार्य ने गोविंदभगवत्पाद से दीक्षा ग्रहण की है। राज्य सरकार के निर्णय पर सवाल उठाते हुए दिग्विजय ने कहा कि महान गुरू को छोड़कर उनके शिष्य की प्रतिमा किसी अन्यत्र जगह लगाकर उसे गोविंदनाथ की गुफा के रुप में राजकीय प्रचारतंत्र से ख्यापित कराना सरकार के द्वारा प्रमाणिक इतिहास को पलटने जैसा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्य सरकार के ऐसे किसी भी प्रयास का पूरजोर विरोध करेगी जो प्रमाणिक इतिहास से छेडछाड करते हों।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *