बीस साल सलाखों के पीछे बिताए, फिर जेल जाने की हसरत

पिथौड़ागढ़,पुष्कर दत्त भट्ट को पत्नी और बेटी की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। 20 साल जेल में रहने के बाद पुष्कर पिछले साल अगस्त में उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ स्थित अपने गांव बस्तड़ी आया, तो उसने यहां जो देखा, उसने उसे स्तब्ध कर दिया। बीस साल की अवधि में पूरा गांव उजड़ चुका था। वह इस समय अपने गांव में रहने वाला अकेला व्यक्ति है। उसने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि या तो उसके गांव को फिर से बसाने के प्रयास किए जाएं या फिर उसे फिर से जेल भेज दिया जाए।
वहां कोई नहीं रह रहा था। पुष्कर यह देख कर हैरान रह गया। उसे बताया गया कि जुलाई 2016 में आई भीषण बाढ़ में सब तबाह हो गया। 52 वर्षीय पुष्कर ने बताया कि उसका गांव भुतहा हो गया है। पूरे गांव में सिर्फ वह ही एकमात्र जीवित व्यक्ति हैं। ऐसे में उन्होंने फैसला किया कि वह अब इस गांव में नहीं रहेंगे। इस संबंध में उन्होंने जिला प्रशासन को प्रार्थना पत्र दिया है कि उन्हें वापस उधम सिंह नगर के सितारगंज जेल भेज दें, जहां उन्होंने अपनी जवानी के 20 साल गुजारे। उन्होंने कहा कि जेल में कम से कम इंसान तो रहते हैं।
जेल से छूटने के बाद पुष्कर अपने बस्तड़ी गांव में छह महीने से अकेले रह रहे हैं। उन्होंने कहा गांव में रहने की मैंने बहुत कोशिश की लेकिन अब मैं और ज्यादा निराश और अकेला नहीं रह सकता हूं। अगर जिला प्रशासन मेरे गांव को फिर से नहीं बसाता है तो मुझे वापस जेल भेज दे। जेल की जिंदगी, इस गांव में रहने से ज्यादा अच्छी है।’ उन्होंने कहा, ‘गांव में न तो बिजली है न ही पानी। गांव के सारे घर तहस-नहस हो चुके हैं। पास के जंगल से जानवर आकर यहां घूमते हैं।

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