नागपुर,दुनिया में पहली बार एक बाघ को नकली पैर लगाए जाने के लिए देश के टॉप ऑर्थोपीडिक सर्जन और महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विज्ञान यूनिवर्सिटी के डॉक्टर एकजुट हुए हैं। साल 2012 में शिकारियों के पिंजड़े में फंसकर पैर गंवाने वाले एक बाघ को नकली पैर लगाया जाएगा। यह बाघ, जिसका नाम साहेबराव है, जब दो साल का था, तब वह और उसका भाई शिकारियों के जाल में फंस गए थे। उसके भाई को बचाया नहीं जा सका था, जबकि साहेब का एक पैर घायल हो गया था। ऑर्थोपीडिक सर्जन डॉ. सुश्रुत बभूलकर ने बताया कि पहले कुत्तों और हाथियों को कृत्रिम पैर लगाए गए हैं, लेकिन बाघों के साथ यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है। बभूलकर ने साहेबराव को गोद लिया था।
उन्होंने बताया बाघ को लंगड़ाकर चलते हुए देख उन्होंने बहुत बुरा लगता है। इसलिए अब वह जर्मनी के एओ फाउंडेशन से आर्टिफिशल पैर मंगाएंगे। यह फाउंडेशन इंसानों और जानवरों का फ्रैक्चर ठीक करने में एक्सपर्ट माना जाता है। उन्होंने बताया कि कुछ क्लिनिकल टेस्ट्स के बाद सिलिकन का पैर लगाया जाएगा, जो एकदम असली लगेगा। इस कृत्रिम पैर को जानवर खुद निकाल भी नहीं सकेगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि पैर लगाने के बाद कोई इंफेक्शन न हो। बभूलकर ने बताया कि साहेब को लोगों से मिलने में कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन दर्द की वजह से उसे काफी तकलीफ रहती है। उनका पहला उद्देश्य साहेब को दर्द से राहत दिलाना है।