नई दिल्ली,अगर आप पिछली बार नीला चांद (ब्लू सुपरमून) नहीं देख पाए थे, तो आपके सामने आज मौका है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक, आज नीला चांद दिखेगा। इससे पहले तीन दिसंबर-2017 और एक जनवरी 2018 को काफी नजदीक से नीला चांद दिखा था। सुपरमून की झलक की इस तिकड़ी में यह इस साल का आखिरी मौका है। इस आकाशीय घटना के दौरान हालांकि चंद्रमा पृथ्वी की छाया से पूरी तरह ढक जाएगा, पर पृथ्वी के बाहरी वायुमंडल से गुजरने वाला सूर्य का प्रकाश अपने अलग-अलग कंपोनेंट्स वाले रंगों में टूट जाएगा। यही कंपोनेंट्स बाहरी वायुमंडल में अपनी यात्रा चंद्रमा की सतह तक पूरा करता है। इससे चंद्रमा के रंग में लालिमा आ जाती है। लाल कॉपर के रंगों से मिलते-जुलते रंग को ग्रहण करने के कारण चंद्रमा को ‘ब्लड मून’ या ‘कॉपर मून’ भी कहते हैं। सुपरमून एक आकाशीय घटना है, जिसमें चांद अपनी कक्षा में धरती के सबसे करीब होता है और पूरे चांद को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। 31 जनवरी को होने वाली पूर्णिमा की तीन खासियत हैं। पहली यह कि यह सुपरमून की एक सीरीज में तीसरा मौका है, जब चांद धरती के नजदीकी दूरी पर होगा। दूसरी यह कि इस दिन चांद सामान्य से 14 फीसदी ज्यादा चमकीला दिखेगा। तीसरी बात यह कि एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा होगी, ऐसी घटना आमतौर पर ढ़ाई साल बाद होती है। भारतीय समयानुसार ग्रहण शाम 5:18 मिनट के आस-पास शुरू होगा। ग्रहण शाम 6:21 तक चलेगा। इसके बाद ग्रहण धीरे-धीरे समाप्त होता जायेगा और चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी की छाया से बाहर आता जाएगा। आंशिक ग्रहण भी लगभग रात 8:41 बजे समाप्त हो जाएगा। इस ग्रहण की अवधि लगभग एक घंटे और 16 मिनट तक होगी। पूरे उत्तरी अमेरिका, प्रशांत क्षेत्र से लेकर पूर्वी एशिया में इस दिन पूर्ण चंद्रग्रहण दिखेगा। अमेरिका, अलास्का, हवाई द्वीप के लोग 31 जनवरी को सूर्योदय से पहले चंद्र ग्रहण देख पाएंगे, जबकि मध्य पूर्व के देशों समेत एशिया, रूस के पूर्वी भाग, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में सुपर ब्लू मून 31 जनवरी को सुबह चंद्रोदय के दौरान लोग देख पाएंगे। दिसंबर में हुई पूर्णिमा के चांद को कोल्ड मून कहा जाता है और 2017 में यह पहला सुपरमून था, जिसका लोगों ने दीदार किया। चांद का आकार सामान्य से सात फीसदी बड़ा लग रहा था और यह सामान्य से 15 फीसदी ज्यादा चमकीला था।
सूतक सुबह 08:34 मिनट से शुरू
यह चंद्र ग्रहण महासंयोग लेकर आया है। अवस्थी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. आदित्य नारायण अवस्थी ने बताया कि जब पूर्ण ग्रहण पड़ता है तब ही चंद्रमा रंग बदलता है। साथ ही तीन तरंगों में सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून एक साथ नजर आते हैं। महासंयोग के कारण ही ग्रहण काल में किए गए ये उपाय आपको मालामाल बना सकते हैं।
प्रत्येक प्राणी पर पड़ता है ग्रहण का प्रभाव
ग्रहण नक्षत्र ग्रहों की स्थिति से जुड़ी एक खगोलीय घटना है। इसका ज्योतिषीय, धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व है। ग्रहण के समय भूतल पर और आकाशमंडल में एक विशेष वातावरण का निर्माण होता है जो हर प्राणी को प्रभावित करता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसे समय में मंत्र सिद्धि शीघ्र होती है। यंत्र-तंत्र के क्षेत्र में भी ग्रहण का महत्व है। साधक लोग इस अवसर के इंतजार में रहते हैं।
ग्रहण काल में किए जाने वाले उपाय
अधिकांश लोग ग्रहण की महिमा से अनभिज्ञ हैं और उन्हें यह पता नहीं है कि ग्रहण काल में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। ग्रहण काल के बारे में मान्यता है कि जितने समय चन्द्र ग्रहण रहता है उतने समय में हम जो कुछ करते हैं उसका अनंतगुना फल प्राप्त होता है। हम अनभिज्ञता के कारण इनका लाभ नहीं ले पाते हैं।
ये करें उपाय
ग्रहण आरंभ होने से पूर्व ही सामग्री आदि साधना स्थल पर एकत्रित कर लें। धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहले से तैयार रखें। कंबल अथवा कुश का बना आसन तैयार रखें। जप करने हेतु माला संभाल कर रख लें। यह भी ध्यान रखें कि यदि आपके साथ कोई अन्य व्यक्ति भी साधना करने वाला हो तो गौमुखी का प्रयोग करें, जिससे जप करते हुए हाथ नजर न आए। ग्रहण आरंभ होने से पूर्व ही स्नान आदि कर साधना स्थल में प्रवेश कर लें तथा ग्रहण समाप्त होने पर पुन: स्नान करके ही पूजन सामग्री को हाथ लगाएं।
ऐसे करें पूजन
ग्रहण काल में भगवद भक्ति, साधना, जप, स्तुति पाठ आदि करें।
आध्यात्मिक उन्नति के लिए ग्रहण काल में जप, पाठ आदि का विधान है।
अपने ईष्ट मंत्र की अधिक से अधिक माला जप करें। इससे ईष्ट मंत्र पावरफुल हो जाता है।
प्रणव अर्थात ओइम की एक-दो माला जप लें। इससे यह सिद्ध हो जाएगा और फिर जिस किसी मंत्र के साथ यह लगेगा वह मंत्र प्रत्यक्ष रूप में काम करेगा।
चन्द्र ग्रहण में देवी मंत्र का ही जाप करें।
ध्यान रहे ग्रहण में भूत-प्रेतों और पितरों का स्मरण न करें।
ग्रहण के स्पर्शकाल में पवित्र स्नान, मध्य में जपादि अनुष्ठान तथा मोक्ष के समय दान करना चाहिए।
ग्रहण के दौरान रंग बदलेगा चंद्रमा
ग्रहण काल में चंद्रमा के तीनों ही कलेवर सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून एक साथ दिखाई देंगे। ऐसी घटना 35 वर्षों के बाद हो रही है। इससे पहले एशिया में वर्ष 1982 में यह घटना देखने के लिए मिली थी। 31 जनवरी को शाम करीब 5रू18 बजे से यह घटना देश के विभिन्न हिस्सों में देखने को मिलेगी।
खास हैं सुपर, ब्लू और ब्लड मून
चांद और खूबसूरती हमेशा एक दूसरे के पर्याय रहे हैं और सुंदरता को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने में चार चांद लगाने की उपमा दी जाती है। ऐसे में चांद के सुपर, ब्लू और ब्लड जैसे नाम काफी आकर्षित करते हैं। खगोलीय घटना के ये नाम इनकी खास विशेषता के कारण दिए गए हैं।
ब्लू मून
आम तौर पर दो पूर्णिमा के बीच 29 दिन का फर्क होता है, ऐसे में एक ही माह में दो पूर्णिमा होना दुर्लभ है, लेकिन ऐसा होने की स्थिति को ही ब्लू मून कहते हैं। 2 जनवरी को भी पूर्णिमा थी।
ब्लड मून
चंद्रग्रहण के दौरान जब चंद्रमा सूर्य की रोशनी से दूर होते हुए पृथ्वी की छाया में होता है तो इसका रंग लाल हो जाता है। पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान यह रक्तिम लाल होता है। इस दौरान इस पर पृथ्वी की छाया से होते हुए कम ही सौर रौशनी पहुंचती है और वायुमंडल के बीच धूल के परत के कारण यह लाल नजर आता है। इसे ही ब्लड मून कहते हैं।
सुपर मून
चंद्रमा का अपने सामान्य आकार से अधिक बड़ा दिखाई देना सुपर मून कहलाता है। इस अवस्था में चांद की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। इस दौरान चंद्रमा धरती के नजदीक होता है। इसके अलावा ये तीनों खगोलीय घटनाएं एक साथ कम ही होती हैं, लेकिन 31 जनवरी 2018 को यह अद्भुत संयोग बन रहा है।
ब्लू मून पर फिल्म
ब्लू मून पर फिल्म भी बनी है। हॉलीवुड फिल्म द स्मर्फ (एनिमेशन) की कहानी का केंद्र ब्लू मून ही है। यह चार जादुई बौनों की कहानी है जिन्हें ब्लू मून से चमत्कारिक शक्तियां मिलती हैं। फिल्म में ब्लू मून कई सदियों बाद होना बताया गया है।
चंद्र ग्रहण का समय
176 वर्ष बाद यह ग्रहण माघ पूर्णिमा के अवसर पर लग रहा है। चंद्र ग्रहण का स्पर्श काल सायंकाल 05:18 बजे, मध्यम शाम 7:00 बजे और मोक्ष काल रात्रि 08:42 मिनट पर होगा। ग्रहण का सूतक सुबह 08:34 मिनट पर लग जाएगा। यह ग्रहण पूरे भारत में दिखेगा। इस चंद्र ग्रहण का स्पर्श पुष्य नक्षत्र में होगा और समाप्ति श्लेषा नक्षत्र में होगी।