नई दिल्ली,मनमोहन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे जयराम रमेश के एक बयान ने नई सियासी अटकलों को जन्म दे दिया है। उन्होंने कोलकाता में कहा था कि कांग्रेस के साठ पार के नेताओं को खुद राजनीति से सेवानिवृत्त होकर राहुल गांधी के लिए मैदान खाली कर देना चाहिए। उनके इस बयान के बाद सवाल उठ रहे हैं कि सोनिया गांधी और मनमोहन की किचेन कैबिनेट में रहे पुराने नेता राजनीति की मुख्य धारा में ना रह कर पीछे से मदद करेंगे ? इसके उलट कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ काम करने वाले नए चेहरों का 2019 तक उदय हो सकेगा।इस मामले में भाजपा का साल 2014 के लोकसभा चुनाव का उदाहरण सामने है जब नरेंद्र मोदी के उदय होने के बाद लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह जैसे दिग्गजों को मुख्यधारा की राजनीति से बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया। ऐसे में मोदी को शो मैन बताने वाले जयराम रमेश के इस बयान के मायने बहुत अहम हो जाते हैं। राहुल गांधी गुजरात चुनाव में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की रणनीति को भेदने के लिए कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले नेताओं के बिना अकेले मैदान में उतरे थे। उन्होंने खुद रणनीति बनाकर हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी, अल्पेश ठाकोर जैसे युवा नेताओं को अपने साथ लिया था। राहुल गांधी ने गुजरात में दो दशक से कायम मोदी मैजिक और अमित शाह की अभेद रणनीति को हिलाकर रख दिया था। जब सोनिया गांधी ने जयपुर में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया था, तभी से वह अपनी युवा टीम बनाने में जुटे हैं। उनका ज़ोर युवाओं को आगे बढ़ाने पर रहा है। वह सोनिया गांधी के वफ़ादार नेताओं की बजाय कुछ नए चेहरों को बड़ी ज़िम्मेदारियां सौंप सकते हैं। राहुल गांधी के नए एक्शन प्लान के मुताबिक वह अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह कांग्रेस मुख्यालय में हर शनिवार को कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिलेंगे।