भोपाल,प्रदेश की केंद्रीय जेलों में बंद चुनिंदा बंदी अब खुली हवा में सांस ले सकेंगे। इन केन्द्रीय जेलों में भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और उज्जैन की जेलें शामिल है। ये बंदी जेल प्रशासन की निगरानी में शहर में आकर नौकरी या व्यापार भी कर सकेंगे। बंदियों को यह सुविधा देने के लिए जिलों में खुली जेल खोलने की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में जेल मुख्यालय के अफसरों ने आधा दर्जन केंद्रीय जेलों के अधीक्षकों को जमीन तय कर प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मालूम हो कि प्रदेश में अभी होशंगाबाद में खुली जेल हैं। प्रदेश की दूसरी खुली जेल सतना में बनकर तैयार है। फरवरी में इस जेल की शुरूआत हो जाएगी। इन दोनों जेलों के बाद अब भोपाल, जबलुपर, ग्वालियर, रीवा और उज्जैन जिलों में भी खुली जेल बनाने की तैयारी की जा रही है।
इसकी शुरूआत जेल मुख्यालय के अफसरों और केंद्रीय जेलों के अधीक्षकों के बीच हुई बैठक के साथ हो गई है। बैठक में तय किया गया कि एक महीने के भीतर सभी केंद्रीय जेल अधीक्षक इसका प्रस्ताव तैयार कर जेल मुख्यालय को भेजे। यहां से प्रस्ताव शासन के पास भेजा जाएगा। प्रदेश में खुली जेलों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान की खुली जेलों का अध्ययन कराया गया था। नरसिंहपुर जेल की अधीक्षक को वहां पर भेजा गया था। उन्होंने इस संबंध में विस्तार से रिपोर्ट तैयार की। इसके बाद प्रदेश के अन्य जिलों में इसे खुलने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। खुली जेलों में टू बीएचके फ्लैट बनाए जाएंगे। यहां पर कम से कम 14 साल की सजा पूरी कर चुके बंदियों को भेजा जाएगा। ये बंदी बाहर जाकर काम भी कर सकते हैं, लेकिन इनको सूर्यास्त से पहले खुली जेल में आमद देना होगी। सतना जेल के लिए अभी 15 बंदियों को खुली जेल में रखने के लिए चुना गया है।