रायपुर,प्रदेश को सबसे सस्ती बिजली देने वाली 50 मेगावॉट की 55 साल पुरानी चार रशियन इकाइयो में ताला लगाने की योजना है। इस बार जब भी पावर कंपनी बोर्ड की बैठक होगी, तो इसमें इन्हें बंद करने का फैसला होगा। गत वर्ष से ही दो इकाइयों में उत्पादन बंद है। दो इकाइयों में ही उत्पादन हो रहा है। इन इकाइयों से होने वाले प्रदूषण को लाख जतन के बाद भी रोकने में सफलता नहीं मिल रही। एनजीटी इसे लेकर लगातार नाराज है। यही वजह है कि कंपनी इन्हें बंद करने में ही भलाई मान रही है। इनके बंद होने के बाद भी बिजली की कोई कमी नहीं होगी और कंपनी सरप्लस ही रहेगी। कोरबा के पावर संयंत्रों में सबसे पुरानी इकाइया कोरबा ईस्ट बैंक में है। इस संयंत्र में 1962 से स्थापित 50 मेगावाट की चार रशियन इकाईयां हैं। इनसे ही अब तक प्रदेश को सबसे सस्ती बिजली मिलती रही है। इन संयंत्रों से पैदा होने वाली बिजली की कीमत एक रूप्ये से भी कम पड़ती है, लेकिन इन इकाइयों में सबसे बड़ी समस्या यह है कि इनमें प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है। प्रदूषण के स्तर के कारण ही इन्हें एनजीटी ने बंद करने का फरमान दो साल पहले ही सुनाया था।कंपनी पहले इसके लिए तैयार भी हो गई थी, लेकिन बाद में इन्हें बंद न करने का पफैसला किया गया। गत वर्ष से कंपनी इकाइयों का प्रदूषण दूर करने का लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन एनजीटी के मापदंडों के अनुरूप प्रदूषण रोकने में सफलता नहीं मिल रही।
पावर कम्पनी की पुरानी इकाईयां बंद होंगी
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