नईदिल्ली, रिजर्व बेंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सवाल उठाया है ‘अपन एक छोटे से तंबू के माध्यम से अर्थव्यवस्था की गाड़ी हांक रहे हैं क्या?’वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखे गए लोकतांत्रिक और विकासशील भारत के चित्रण पर राजन ने ‘नौकरशाही को एक बाजू रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक छोटे से तंबू से सरकार के सारे निर्णय लिए जा रहे हैं। उन्होंने यह सवाल भी किया कि मोदी सरकार का कामकाज वाकई लोकतंत्र के अनुरूप है क्या?
दावोस में संपन्न सम्मेलन के संदर्भ में एक समाचारपत्र को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र, यहां की जनता और सरकार के कार्य-ये तीनों बातें एक होकर भारत के भविष्य को आकार देती हैं। उन्होंने कहा कि दावोस में मोदी ने दावा किया था कि ‘रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म’सरकार का मूल मंत्र है। राजन ने मोदी के इस वक्तव्य से असहमति दर्शाते हुए कहा कि देश में अधोसंरचना से संबंधित तमाम प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं। सरकार को उन पर ध्यान देना चाहिए। अधिकारियों के निर्णयों को खास तवज्जो नहीं मिलने से वे भी निर्णय लेते दिखाई नहीं दे रहे हैं। शायद उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में फंस जाने का डर है।
राजन ने कहा कि दिनों—दिन सभी बातें एक ही जगह केंद्रित होती जा रही है क्या? अपन एक छोटे से तंबू के माध्यम से अर्थव्यवस्था की गाड़ी हांक रहे हैं क्या? 2.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था चलाने की कूवत हममें है क्या? इसका भी विचार किया जाना चाहिए। ‘आधार’ के मुद्दे पर भी उन्होंने सरकार को इशारा दिया। ‘आधार’ की जानकारी किसी को भी सहज उपलब्ध हो जाने की खबरें चिंता बढ़ाने वाली हैं। सरकार को आधार की सुरक्षा सुदृढ करना चाहिए थी। राजन ने कहा कि ‘आधार’ के लिए दिए सभी डाटा सुरक्षित होने का भरोसा सरकार को जनता को देना चाहिए था। केवल ‘हम पर भरोसा रखो’ कहकर काम नहीं चलने वाला।