दावोस,रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर डॉक्टर रघुराम राजन ने कुछ गिने-चुने लोगों द्वारा देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले लिए जाने को बेहद चिंताजनक बताया है। दावोस में राजन ने कहा मुझे चिंता है कि नौकरशाही फैसले नहीं ले रही है। राजन स्विट्जरलैंड के शहर दावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। मुट्ठीभर लोगों द्वारा देश के महत्वपूर्ण आर्थिक फैसले लेने पर चिंता जताते हुए राजन ने कहा कि नौकरशाही फैसले नहीं ले पा रही है। उन्होंने कहा कि अरुण जेटली ने समय-समय पर इन बाधाओं को दूर करने की बात कही है। राजन ने मिसाल के तौर पर बताया कि नौकरशाहों में इस बात का डर है कि उन्हें भ्रष्टाचार का आरोपी बना दिया जाएगा। राजन ने कहा कि हमें यह सोचने की जरूरत है कि क्या चीजें इतनी सेन्ट्रलाइज्ड हो चुकी हैं और क्या हम अर्थव्यवस्था को लोगों के एक बहुत ही छोटे से समूह द्वारा चलाने की कोशिश कर रहे हैं और क्या 2.5 ट्रिलियन की इकॉनमी को संभालने के लिए हमारे पास पर्याप्त क्षमता है।
दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के दिए भाषण से जुड़े सवाल के जवाब में राजन ने कहा, ‘वह यह कहने की कोशिश कर रहे थे कि भारत खुला हुआ देश है और वैश्विक पहलों का समर्थन करता है व साथ में ट्रेड चैनल, इन्वेस्टमेंट चैनलों को खुला रखता है। वह उन ग्लोबल लीडर्स की आवाज को और आगे बढ़ाते दिखे, जो कहते आए हैं कि मौजूदा सिस्टम अच्छा है और हमें इसके भीतर रहकर और ज्यादा सहयोग का रवैया अपनाना होगा।’ राजन से जब सवाल किया गया कि भारतीय अर्थव्यस्था को लेकर वैश्विक और घरेलू स्तर पर जो उत्साह का माहौल है, क्या वास्तव में इसके जमीनी कारण भी मौजूद हैं, तो उन्होंने कहा, ‘देखिए, भारत एक संभलती हुई अर्थव्यस्था है। संभलती हुई इसलिए कि पिछले साल हमें कुछ झटके लगे थे। तेल की कीमतें भी चढ़ रही हैं। हमें इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि हम अब भी 6.5 से 7 प्रतिशत की गति से विकास कर रहे हैं जो ठीक-ठाक है।’ उन्होंने कहा हमें इससे आगे बढ़ना है और अब तेल की बढ़ती कीमतें बड़ी चुनौती हैं, जो कुछ साल पहले बहुत कम थी।