बेटियों की आवाज को सुनो,परिवर्तन को स्वीकारो-राष्ट्रपति

नईदिल्ली, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र ने नाम अपने सम्बोधन में कहा की जहां बेटियों को, बेटों की ही तरह, शिक्षा, स्वास्थ्य और आगे बढ़ने की सुविधाएं दी जाती हैं, ऐसे समान अवसरों वाले परिवार और समाज ही, एक खुशहाल राष्ट्र का निर्माण करते हैं।
उन्होंने कहा महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए, सरकार कानून लागू कर सकती है और नीतियां भी बना सकती है – लेकिन ऐसे कानून और नीतियां तभी कारगर होंगे जब परिवार और समाज, हमारी बेटियों की आवाज़ को सुनेंगे। हमें परिवर्तन की इस पुकार को सुनना ही होगा।
राष्ट्रपति ने सम्बोधन में कहा की आत्म-विश्वास से भरे हुए, और आगे की सोच रखने वाले युवा ही, एक आत्म-विश्वास-पूर्ण और प्रगतिशील राष्ट्र का निर्माण करते हैं। हमारे 60 प्रतिशत से अधिक देशवासी, 35 वर्ष से कम उम्र के हैं। इन पर ही हमारी उम्मीदों का दारोमदार है। हमने साक्षरता को काफी बढ़ाया है; अब हमें शिक्षा और ज्ञान के दायरे और बढ़ाने होंगे। शिक्षा-प्रणाली में सुधार करना, उसे ऊंचा उठाना, और उसके दायरे को बढ़ाना – तथा इक्कीसवीं सदी की डिजिटल अर्थव्यवस्था, जीनोमिक्स, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन की चुनौतियों के लिए समर्थ बनाना – हमारा उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा की इनोवेटिव बच्चे ही एक इनोवेटिव राष्ट्र का निर्माण करते हैं। इस लक्ष्य को पाने के लिए, हमें एक जुनून के साथ, जुट जाना चाहिए। हमारी शिक्षा- प्रणाली में, खासकर स्कूल में, रटकर याद करने और सुनाने के बजाय, बच्चों को सोचने और तरह-तरह के प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हमने खाद्यान्न उत्पादन में काफी बढ़ोतरी की है, लेकिन अभी भी, कुपोषण को दूर करने और प्रत्येक बच्चे की थाली में जरुरी पोषक तत्व उपलब्ध कराने की चुनौती बनी हुई है। यह हमारे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए, और हमारे देश के भविष्य के लिए, बहुत ही महत्वपूर्ण है।
मुहल्ले – गांव और शहर के स्तर पर सजग रहने वाले नागरिकों से ही, एक सजग राष्ट्र का निर्माण होता है। हम अपने पड़ोसी के निजी मामलों और अधिकारों का सम्मान करते हैं। त्योहार मनाते हुए, विरोध प्रदर्शन करते हुए या किसी और अवसर पर, हम अपने पड़ोसी की सुविधा का ध्यान रखते हैं। किसी दूसरे नागरिक की गरिमा, और निजी भावना का उपहास किए बिना, किसी के नजरिये से या इतिहास की किसी घटना के बारे में भी, हम असहमत हो सकते हैं। ऐसे उदारतापूर्ण व्यवहार को ही, भाईचारा कहते हैं।

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