भोपाल,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव एवं नेता प्रतिपक्ष,अजयसिंह ने आज कहा की एमपी की माली हालत बेहद दयनीय स्थिति में है, यह नौबत घपले,घोटालों और CM की ब्रांडिंग वाली प्रवृति की वजह से हुआ है.नेताद्वय ने कहा की तेजी से दिवालियेपन की ओर बढ़ रही आर्थिक स्थिति पर सरकार श्वेत -पत्र जारी करे। क्योकि आर्थिक स्थिति कैसी है इसे जानने का हक राज्य की जनता को है।दोनों नेता प्रदेश मुख्यालय पर पत्रकार वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे,उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2017 की स्थिति में 1 लाख 37 हजार 810 करोड़ रूपए का कर्ज सरकार पर है। एडीवी, वर्ल्ड बैंक, न्यू डेवल्पमेंट बैंक तथा के.एफ. डब्ल्यू बैंक से 12 हजार करोड़ का अलग से कर्ज लिया गया है। लगभग डेढ़ लाख करोड़ से अधिक का कर्ज आज प्रदेश पर है। रोड डेवल्पमेंट कार्पोरेशन, जल निगम और अन्य संस्थाओं द्वारा अलग से विभिन्न विश्व संगठनों से कर्ज लिया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केन्द्र में मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा था कि कांग्रेस सरकार ऋण लेकर घी पी रही है। अब यही सरकार ऋण को विकास का पर्याय बता रही है। पिछले 14 साल में मध्यप्रदेश सरकार पर 6 गुना कर्ज बढ़ा है। जब कांग्रेस की सरकार थी तब वर्ष 2003 तक यह 33 हजार करोड़ का कर्ज था। आज मध्यप्रदेश में हर नागरिक पर लगभग 15 हजार रूपए का कर्ज। 31 मार्च 2016 तक यह कर्ज 13853 रूपए था। सरकार का तर्क है कि यह कर्ज विकास के लिए है। लेकिन हमारा आरोप है कि देखा जाए तो कांग्रेस सरकार में नहीं बल्कि भाजपा सरकार ऋण लेकर घी पीने का कार्य कर रही है। – इसका कारण है राज्य सरकार की फिजूलखर्ची ‘‘नमामि देवी नर्मदे यात्रा’’ से कांग्रेस का कोई विरोध नहीं है, लेकिन इसके नाम पर मुख्यमंत्री ने अपना राजनीतिक एजेंडा लागू किया और उस पर सरकारी खजाने के करोड़ों रूपए लुटाए। 50 करोड़ रूपए से अधिक तो मुख्यमंत्री जी ने प्रचार-प्रसार पर खर्च किए। सरकार का विधानसभा में जवाब है कि न्यूयार्क टाइम्स में भी हमने विज्ञापन दिए। मुख्यमंत्री ने अपनी खुद की प्रचार की भूख पर जो करोड़ों रूपए लुटाए जा रहें हैं, यहीं कारण है कि मध्यप्रदेश पर कर्ज बढ़ रहा है। विकास के कारण नहीं बढ़ रहा है। अमरकंटक में समापन में राज्य सरकार ने सरकारी कोष से 500 करोड़ रू. से अधिक खर्च कर दिए। सरकार ने बेशर्मी के साथ समग्र स्वच्छता अभियान का पैसा समापन कार्यक्रम में लगा दिया। स्वच्छता में इंदौर नंबर वन और भोपाल नंबर टू पर है। फिर मुख्यमंत्री ने सिर्फ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने 6 करोड़ पौधरोपण की तुगलकी घोषणा कर दी। इसमें भी घोटाला 750 करोड़ रूपए का हुआ। पौधे कहीं लगे ही नहीं और जो लगे वे भी सूख गए। अब मुख्यमंत्री ने ‘‘एकात्म यात्रा’’ निकाली। परमपूज्य शंकराचार्य जी के नाम पर वास्तव में मुख्यमंत्री की आस्था कम राजनीति अधिक है। इसके समापन समारोह में आपने भीड़ जुटाने के लिए सभी जिलों से 500 बसों में लोगों को भरकर ले जाया गया, फिर करोड़ों रूपए खर्च कर दिए। प्याज सड़ने पर 500 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है। दाल खरीदी घोटाला हुआ। सिर्फ बीते वर्ष में ही एक साल में 2732 करोड़ रूपये के घोटाले हुए। यह सब जनता का पैसा है जो कर्ज लेकर लुटाया जा रहा है, उसकी वसूली भी जनता से हो रही है। मुख्यमंत्री, निरंतर घोषणाएं कर रहे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि घपले, घोटालों और मुख्यमंत्री अपनी ब्राडिंग पर लगातार हो रहे खर्च के कारण आज प्रदेश कंगाली और बदहाली के दौर में पहुंच गया है। आज भी कर्ज लेने का सिलसिला जारी है। सिंतबर से जनवरी तक राज्य सरकार 13 हजार करोड़ रू. का कर्ज ले चुकी है। कई ऐसे सार्वजनिक उपक्रम हैं, जिन्होंने लोन ले रखे हैं, उसका रि-पेमेंट नहीं हो पा रहा है। यह उपक्रम डेढ़ सौ करोड़ का ब्याज दे रहे हैं और मूलधन उनका वहीं का वहीं है। मेट्रो का पता नहीं, उसकी फडिंग का पता नहीं लेकिन आपके जनरल कंसटेंट के लिए लगभग 500 करोड़ का खर्चा शुरू कर दिया है। 16 करोड़ खर्च भी हो गए हैं। हमने यह भी सुना है कि मेट्रो कार्पोरेशन से जुड़े अधिकारियों को दिल्ली में ठहराने के लिए मेरीएट से कोई करार हो गया है। याने एक अधिकारी पर आप दिल्ली में एक दिन में कम से कम 20 हजार खर्च करेंगे। एमपीआरडीसी और ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण में हाई रेट पर निर्माण कार्य चल रहे हैं। अध्यापकों को लेकर मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की है, उस पर 2 लाख 70 हजार करोड़ रूपए का आर्थिक भार आ रहा है। सरकार बताए कि यह घोषणा कब तक वह पूरी करेगी और हमारे सभी अध्यापकों को इसका लाभ किस तारीख और किस माह से मिलना शुरू हो जाएगा। घोषणाएं, फिजूलखर्ची और घपलों-घोटालों पर मुख्यमंत्री कोई रोक नहीं लगा रहे हैं और कर्ज लिए जा रहे हैं। कांग्रेस की मांग है कि प्रदेश के बदहाल होते आर्थिक हालात के लिए भाजपा सरकार और उसके मुखिया शिवराजसिंह चौहान ही जिम्मेदार है। सरकार प्रदेश के आर्थिक हालातों पर श्वेत-पत्र जारी करें।