भोपाल, राज्य विधानसभा में बजट 2018 आगामी 28 फरवरी को प्रस्तुत होगा। इसके दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा होने की संभावना जताई जा रही है। चुनावी साल में सरकार का पूरा जोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूलमंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास” पर रहेगा। हर वर्ग को लुभाने की न सिर्फ इसमें कोशिश होगी, बल्कि कोई बड़ा कर न लगाकर जनता को राहत दी जाएगी। प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया लगातार पांचवां बजट प्रस्तुत करेंगे। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक का सिलसिला लगभग पूरा हो गया है। अब वित्त मंत्री जयंत मलैया जिन विभागों को अधिक बजट की जरूरत है, उनके मंत्रियों के साथ बैठक कर सकते हैं। फरवरी में मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री के बीच बजट को अंतिम रूप देने बैठकें होंगी। 31 जनवरी तक वित्त विभाग विभागीय बजट प्रावधानों को अंतिम रूप दे देगा। 26 फरवरी से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन सरकार अपना अंतिम पूर्ण बजट प्रस्तुत करेगी। इसके बाद मानसून सत्र में पहला अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा। अक्टूबर में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होगी। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शीतकालीन सत्र संभवत: नहीं हो पाएगा। इसे मद्देनजर बजट तैयार किया जा रहा है। मौजूदा बजट 1 लाख 85 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। आगामी बजट इससे करीब 20 हजार करोड़ रुपए ज्यादा का हो सकता है। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वित्त विभाग से कहा है कि कुछ विभागों का बजट बढ़ाया जाए। इसमें नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक निर्माण, जल संसाधन और कृषि जैसे विभाग शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि यही विभाग हैं जो सरकार की छवि को बनाने और बिगाड़ने का काम करते हैं, इसलिए इन्हें जरूरत की राशि मुहैया कराई जाएगी। द्वितीय अनुपूरक बजट में भी ऐसा ही हुआ था। उधर, वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि बजट का फोकस विकास पर रहेगा। संकेत साफ है कि चुनावी साल में सरकार बजट के जरिए यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि उसका जोर विकास पर है। ऐसे विभाग जो बजट प्रावधान तो करा लेते हैं पर राशि खर्च नहीं कर पाते, उन्हें इस बार कुछ निराशा हाथ लग सकती है। मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों ने बताया कि बजट में गांव, शहर, किसान और युवाओं के लिए भरपूर राशि का इंतजाम रहेगा। भावांतर भुगतान योजना, स्मार्ट सिटी, मेट्रो परियोजना, सीवरेज, पेयजल, कौशल विकास एवं प्रशिक्षण, प्रधानमंत्री आवास, पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, ग्रामीण पेयजल सहित सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट रखा जाएगा। इसके लिए कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए जरूरी प्रावधान विभागीय बजट में किए जा सकते हैं।