भोपाल,राज्य सरकार द्वारा विभिन्न जिलों में खोले जा रहे छह नए मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में 15 फीसदी हिस्सा प्राइवेट वार्ड का रहेगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नियमों में प्रावधान भी कर दिया है। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में विभिन्न् जांचों के लिए अलग से भवन बनाने और उसका संचालन दस साल के लिए ठेके पर देने की रणनीति बनाई गई है। भवन और मशीनों का पूरा पैसा सरकार लगाएगी। इसमें हर सुविधा सशुल्क रहेगी। जांच की दर बोली लगाकर तय होगी, जो किसी भी सूरत में केंद्र सरकार द्वारा तय दर से ज्यादा नहीं होगी। मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में बेहतर सुविधाओं के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने रोडमैप तैयार करना शुरू कर दिया है। इसके तहत पहले चरण में प्रदेश में खुल रहे छह नए मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी हिस्सा प्राइवेट वार्ड के रूप में रहेगा। इनमें और जनरल वार्ड में इलाज संबंधी सुविधाएं एक जैसी होंगी पर प्राइवेट वार्ड निजी अस्पतालों जैसे रहेंगे।
यहां मरीज को हर चीज का शुल्क देना होगा। अभी कुछ अस्पतालों में प्राइवेट वार्ड तो हैं पर वहां सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। यही वजह है कि मरीज निजी अस्पतालों का रुख करते हैं। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में यह व्यवस्था बनाने पर भी विचार किया जा रहा है कि एक भवन बनाकर वहां जांच से संबंधित सभी मशीनें रख दी जाएं। इसके संचालन के लिए दस साल का करार किया जाए। इसमें जांच की दरें सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में तय दरों से ज्यादा नहीं होंगी। इस प्रोजेक्ट पर सरकार को एक बार राशि खर्च करनी होगी। इससे मरीजों को जांच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा और पैसा भी तुलनात्मक रूप से बहुत कम लगेगा।अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा राधेश्याम जुलानिया ने बताया कि विदिशा, शहडोल, रतलाम, दतिया, खंडवा, छिंदवाड़ा और शिवपुरी में जो कॉलेज खुलेंगे, उनमें 15 फीसदी स्थान प्राइवेट वार्ड के तौर पर रखा जाएगा।