नई दिल्ली,दिल्ली हाईकोर्ट से लाभ के पद के मुद्दे पर सदस्यता गंवाने वाले आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को राहत मिल गई है। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को इन सीटों पर चुनाव संबंधी कोई भी घोषणा करने से फिलहाल सोमवार तक रोक दिया है। यह निर्देश 8 विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। वहीं अदालत ने चुनाव आयोग, केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार व अधिवक्ता प्रशांत पटेल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जस्टिस विभू बाखरू ने सभी पक्षों को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत व अन्य पूर्व विधायकों की याचिका क्यों न स्वीकार किया जाए। अगली सुनवाई सोमवार को होगी। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के उस तर्क को फिलहाल खारिज कर दिया कि उनको अयोग्य ठहराने संबंधी अधिसूचना पर रोक लगाई जाए। हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने और प्रभावित विधायकों का पक्ष सुने जाने के लिये पूर्व विधायक अलका लांबा, राजेश ऋषि, कैलाश गहलोत, सरिता सिंह, नितिन त्यागी समेत आप के आठ विधायकों ने तीन याचिकायें दायर की हैं। चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता अमित शर्मा ने नोटिस स्वीकार किया गया है। कोर्ट ने कहा अगर उन्हें कुछ कहना है तो सोमवार तक लिखित दलीलें पेश कर दें और संबंधित केस का रिकार्ड पेश करें। आप के पूर्व विधायक कैलाश गहलोत की याचिका पर शुरुआती जिरह करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन ने कहा चुनाव आयोग का फैसला पूरी तरह गलत है क्योंकि विधायकों को सुने बिना ही फैसला सुना दिया गया। यह न्याय के प्राकृतिक सिद्घांत की अनदेखी है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा इस फैसले पर आयुक्त सुनील अरोड़ा के दस्तखत है जिन्होंने कभी भी इस मामले को नहीं सुना। तत्कालीन आयुक्त ओपी रावत ने खुद को अलग कर लिया था, लेकिन बाद में कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना ही सुनवाई में शामिल हो गये। यह देश के कानून में बिल्कुल नया है। याचिका में कहा कि इस मामले में कानून की तय प्रक्रिया की अनदेखी की गई है। विधायकों को आयोग्य ठहराने के लिये संदर्भ राष्ट्रपति द्वारा भेजा जाता है और आयोग उसकी सुनवाई कर फैसला सुनाता है। इस मामले में विधायकों के खिलाफ संदर्भ राष्ट्रपति के सचिव की ओर से भेजा गया था। जस्टिस विभू बाखरू ने याचिकाकर्ताओं के वकील से पूछा क्या उन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी पर आपत्ति है। इसके जवाब में उन्होंने कहा उन्हें चुनाव आयोग के फैसले और उसके सुनवाई के तरीके पर आपत्ति है। दूसरी ओर चुनाव आयोग के वकील अमित शर्मा ने कहा आयोग का फैसला पूरी तरह सही है। इसलिये उस पर स्टे न लगाया जाये। इस फैसले पर राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है। चुनाव आयोग ने इन विधायकों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया था। गौरतलब है कि चुनाव आयोग के फैसले पर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद आप के 6 विधायकों ने सोमवार को अपनी अर्जी वापस ले ली थी। इन विधायकों ने अर्जी दायर कर चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने कोई राहत न देते हुये चुनाव आयोग को फैसले की कॉपी पेश करने के लिये कहा था। राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग के फैसले पर 20 जनवरी पो मंजूरी दे दी थी। पेश मामला 20 विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने से जुड़ा है। अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति को शिकायत देकर आरोप लगाया था कि सरकार ने अपने विधायकों को लाभ पहुंचाने के लिये संसदीय सचिव बनाया है। उन्हें इस काम के लिये दिल्ली सरकार की ओर से वेतन व भत्ते दिये जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने यह शिकायत चुनाव आयोग के पास सुनवाई के लिये भेजी थी।