लंदन,दूषित पानी के कारण होने वाली बीमारियों से पूरी दुनिया प्रभावित है। अब गंदे पानी की पहचान पेपर टेस्ट से हो सकेगी। यह लिटमस पेपर जैसा ही है। वैसे लिटमस का प्रयोग सामान्य तौर पर पानी में एसिड की मात्रा का पता लगाने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिकों ने माइक्रोबियल फ्यूअल सेल (एमएफसी) युक्त पेपरनुमा यंत्र विकसित किया है। इसके लिए जैविक तरीके से सड़ने वाले कार्बन की पेपर पर स्क्रीन प्रिंटिंग की गई। एमएफसी कार्बन इलेक्ट्रोड से जुड़े “इलेक्ट्रिक” बैक्टीरिया का प्रयोग कर जैविक तरीके से इलेक्ट्रिक सिग्नल पैदा करते हैं। दूषित पानी के संपर्क में आते ही इलेक्ट्रिक सिग्नल बदल जाता है। इससे पता चलता है कि पानी पीने लायक है या नहीं। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के शोधकर्ताओं के बनाए इस डिवाइस की कीमत करीब 64 रुपये और वजन एक ग्राम से भी कम है। सस्ता होने के साथ ही इस यंत्र को कहीं भी ले जाया जा सकता है। जैविक कार्बन से बने होने के कारण यह पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह नहीं है। शोधकर्ता प्रो। मिरेला डि लोरेंजो ने कहा, “इसकी मदद से दूषित पानी का टेस्ट आसान हो जाएगा। पिछड़े इलाकों में जहां पानी की जांच के लिए कोई उपकरण मौजूद नहीं होता है, वहां इसकी उपयोगिता सबसे अधिक होगी। हमारे इस कदम से लोगों को साफ पानी मिल सकेगा जिसे संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों में शामिल किया है।” वैज्ञानिक डिवाइस को यूजर फ्रेंडली बनाने के लिए मोबाइल से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।