दावोस,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दुनिया के देशों का आह्वान किया की वह सीमित दायरे से बाहर निकलें और दुनिया के सामने आई तीन बड़ी चुनौतियों का मिल कर सामना करें। उन्होंने कहा की भारतीय दर्शन हमें इसके लिए प्रेरित करता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के अलावा आतंकवाद और सिकुड़ रहे वैश्वीकरण को दुनिया के लिए चुनौती बताया।
पीएम वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में ”क्रिएटिंग अ शेयर्ड फ्यूचर इन अ फ्रैक्चर्ड वर्ड” विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा Glaciers पीछे हटते जा रहे हैं। आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है। बहुत से द्वीप डूब रहे हैं, या डूबने वाले हैं। बहुत गर्मी और बहुत ठंड, बेहद बारिश और बाढ़ या बहुत सूखा – extreme weather का प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। इन हालात में होना तो यह चाहिए था कि हम अपने सीमित संकुचित दायरों से निकलकर एकजुट हो जाते। लेकिन क्या ऐसा हुआ? और अगर नहीं, तो क्यों? और हम क्या कर सकते हैं जो इन हालात में सुधार हो। हर कोई कहता है की carbon emission को कम करना चाहिए। लेकिन ऐसे कितने देश या लोग हैं जो विकासशील देशों और समाजों को उपयुक्त technology उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराने में मदद करना चाहते हैं। मोदी ने कहा आपने अनेक बार सुना होगा भारतीय परम्परा में प्रकृति के साथ गहरे तालमेल के बारे में। हजारो साल पहले हमारे शास्त्रों में मनुष्यमात्र को बताया गया- “भूमि माता, पुत्रो अहम् पृथ्व्याः” यानि, we the human are children of Mother Earth.यदि हम पृथ्वी की संतान हैं तो आज मानव और प्रकृति के बीच जंग-सी क्यों छिड़ी है? उन्होंने कहा दूसरी बड़ी चुनौती है आतंकवाद। इस संबंध मेँ भारत की चिंताओं और विश्वभर में पूरी मानवता के लिए इस गम्भीर ख़तरे के बढ़ते और बदलते हुए स्वरूप से आप भली-भांति परिचित हैं। मैं यहाँ सिर्फ दोआयामों पर आपका ध्यान खींचना चाहता हूँ। आतंकवाद जितना ख़तरनाक है उससे भी ख़तरनाक है good terrorist और bad terrorist के बीच बनाया गया artificial भेद। दूसरा समकालीन गंभीर पहलू जिसपर मैं आपका ध्यान चाहता हूँ वह है पढ़े-लिखे और सम्पन्न युवाओं का radicalise होकर आतंकवाद में लिप्त होना। मुझे आशा है कि इस फोरम में आतंकवाद और हिंसा की दरारों से, इनके द्वारा उत्पन्न fracture से हमारे सामने मौज़ूद गंभीर चुनौतियों पर और उनके समाधान के विषय पर चर्चा होगी। तीसरी चुनौती का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा की मैं यह देखता हूँ कि बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि Globalization अपने नाम के विपरीत सिकुड़ रहा है। इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को climate change या आतंकवाद के ख़तरे से कम नहीं आंका जा सकता। हालांकि हर कोई interconnected विश्व की बात करता है लेकिन globalization की चमक कम हो रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के आदर्श अभी भी सर्वमान्य हैं। World Trade Organization भी व्यापक है। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद बने हुए विश्व संगठनों की संरचना, व्यवस्था और उनकी कार्य पद्धति क्या आज के मानव की आकांक्षाओं और उसके सपनों को, आज की वास्तविकता को परिलक्षित करते हैं?
हम मानते हैं कि प्रगति तभी प्रगति है, विकास तभी सच्चे अर्थों में विकास है जब सब साथ चल सकें। हम अपनी आर्थिक और सामाजिक नीतियों में केवल छोटे-मोटे सुधार ही नहीं कर रहे, बल्कि आमूलचूल रूपान्तरण कर रहे हैं। हमने जो रास्ता चुनाहै वो है reform, perform and transform. आज हम भारत की अर्थव्यवस्था को जिस प्रकार से निवेश के लिए सुगम बना रहे हैं उसका कोई सानी नहीं है । इसी का नतीजा है कि आज भारत में निवेश करना, भारत की यात्रा करना, भारत में काम करना, भारत में manufacture करना, और भारत से अपने products and services को दुनिया भर को export करना, सभी कुछ पहले की तुलना में बहुत आसान हो गया है। हमने लाइसेंस-परमिट राज को जड़ से ख़त्म करने का प्रण लिया है। Red tape हटा कर हम red carpet बिछा रहे हैं। अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्र foreign direct investment के लिए खुल गए हैं। 90 प्रतिशत से अधिक में automatic route से निवेश सम्भव है। केंद्र एवं राज्य सरकारों ने मिल कर सैकड़ों reforms किये हैं। 1400 से अधिक ऐसे पुराने कानून, जो business में, प्रशासन में, और आम इंसान के रोजमर्रा के जीवन में अडचनें डालरहे थे, ऐसे पुराने कानूनों को हमने ख़त्म कर दिया है
मोदी ने दुनिया भर के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित उद्योगपतियों से कहा की 70 साल के स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार देश में एक एकीकृत कर व्यवस्था goods and service tax – GST – के रूप में लागू कर ली गई है। पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए हम technology का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत को transform करने के लिए हमारे संकल्प और हमारे प्रयासों का विश्व भर की business community ने स्वागत किया है। भारत में democracy, demography और dynamism मिल कर development को साकार कर रहे हैं, destiny को आकारदे रहे हैं। दशकों के नियंत्रण ने भारत के लोगों की, भारत के युवा की क्षमताओं को जकड रखा था। लेकिन अब, हमारी सरकार के निर्भीक नीतिगत फैसलों ने, असरदार कदमों ने परिस्थितियां बदल दी हैं। लगभग साढ़ेतीन साल के कम समय में जो दूरगामी और बड़े परिवर्तन भारत में हुए हैं और हो रहे है वे सवा सौ करोड़ भारतियों की अपेक्षाओं, उनके पुरूषार्थ और उनकी परिवर्तन को स्वीकर करने की क्षमता का यशोगान है। अब भारत के लोग, भारत के युवा2025 में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान के लिए समर्थ हैं।