लखनऊ,उत्तर प्रदेश में पहली बार स्वास्थ्य नीति बनाई जा रही है। जिसमें अलग पब्लिक हेल्थ संवर्ग, पब्लिक हेल्थ एजुकेशन स्कूल की स्थापना, चिकित्सकों एवं सहयोगी संवर्गों के उत्पादन में वृद्धि, चिकित्सा सेवा में नर्सों और आयुष चिकित्सकों की अग्रणी भूमिका सुनिश्चित करना, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को और महत्व देना, विभिन्न अनिवार्य संवर्गों की नियुक्ति तथा अनुपातिक वितरण सुनिश्चित करना, मानव-संसाधनों की तैनाती और उन्हें बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था, नियमित प्रशिक्षण और क्षमता संवर्धन, दवाईयों की खरीद के लिए अधिक धन का प्राविधान, गुणवत्तायुक्त उपकरणों तथा अनिवार्य और जेनरिक दवाइयों का प्रयोग, विकेन्द्रित दवाई वितरण प्रणाली, सरकारी प्राथमिक चिकित्सा ईकाईयों द्वारा निरोधात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना उच्चतर स्तर को मजबूत करना, डायग्नोस्टिक, रिफरल और इमर्जेंसी सेवा में सुधार करना है।सिंह ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग, चिकित्सा में आवश्यक शोध को बढ़ावा देना, चिकित्सा के क्षेत्र में सुशासन हेतु समन्वय, स्वास्थ्य संस्थाओं और सेवाओं का विनियमितीकरण, चिकित्सा की उच्च गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए राज्य बजट में स्वास्थ्य हेतु प्राविधानित बजट में क्रमिक वृद्धि, सामाजिक स्वास्थ्य बीमा में वृद्धि, प्राथमिक और निरोधात्मक स्वास्थ्य के लिए बजट में प्राथमिकता, चिकित्सा उपचार के कारण लोगों पर पड़ने वाले वित्तीय भार को कम करना और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन में सुधार उल्लेखनीय हैं।इसी नीति को विकसित करने के लिए होटल हयात रेजेन्सी, गोमती नगर, लखनऊ में एक उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह द्वारा किया गया।