भोपाल,आयुक्त पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग भोपाल के अधिकारियों द्वारा वर्ष 2012-13 में फर्जी स्कूल के संचालक को 17 लाख की छात्रवृत्ति देने के आरोप में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने मिली शिकायत की जांच के बाद आठ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। लोकायुक्त अफसरों ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि जिला अधिकारी से प्राप्त जानकारी अनुसार मून पब्लिक स्कूल भोपाल का कोई अस्तित्व नहीं है किन्तु पिछड वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2012-13 में उक्त फर्जी स्कूल की संचालिका कुमारी सुजाता सिंह कुशवाहा निवासी ग्वालियर को उनके ग्वालियर स्थित कर्नाटका बैंक के खाते में 17 लाख का भुगतान चेकों के माध्यम से छात्रवृत्ति के रुप में किया गया। कुमारी सुजाता सिंह के पिता जगमोहन सिंह कुशवाहा द्वारा फर्जी स्कूल के नाम पते पर बैंक खाते खोलने में इस्ट्रीड्यूसर का कार्य किया गया। स्कूल संचालकों के द्वारा खाता खोलने के लिए स्कूल की कूटरचित मान्यता नवीनीकरण प्रमाण पत्र और अन्य कूटरचित दस्तावेजों का उपयोग किया गया है।
संचालनालय पिछडा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण के आईटी सेल प्रभारी यशपाल सिंह, उच्च श्रेणी लिपिक अनिल वर्मा, आईटी सेल सुपरवाईजर कपिल वर्मा और अन्य कर्मचारियों योगेश कुशवाहा, पुरुषोत्तम राजपूत द्वारा डाटा इंन्ट्री के लिए नियुक्त निजी संस्था यूरेनस एजुकेशन इंस्टीट्यूट के संचालक संतोष कुमार के साथ षड्यंत्र करके छात्रवृत्ति आवेदनों की फीडिग कम्प्यूटरों में कराई गई एवं अस्तित्वहीन स्कूल को 17 लाख की छात्रवृत्ति भुगतान कराकर शासन को आर्थिक क्षति पहुचाई गई। इस तरह और भी काल्पनिक व अस्तित्वहीन स्कूलों को छात्रवृत्ति देने की संभावना है जिसकी पड़ताल विवेचना के दौरान की जावेगी।
शिकायत की जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने यशपाल सिंह, सहायक संचालक पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, प्रभारी आईटी सेल, भोपाल, अनिल वर्मा, यूडीसी, कपिल वर्मा सुपरवाईजर, योगेश कुशवाहा, डाटाएंट्री ऑपरेटर, पुरुषोत्तम राजपूत आईटी सेल कर्मचारी, संतोष कुमार संचालक यूरेनस एजुकेशनल इंस्ट्रीट्यूट भोपाल, सुजाता कुशवाहा प्राचार्या मून पब्लिक स्कूल निवासी ग्वालियर और जगमोहन सिंह कुशवाहा निवासी ग्वालियर के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे के जांच शुरु कर दी है।