नई दिल्ली,गुजरात के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख हत्याकांड की सुनवाई करने वाले जज लोया की संदिग्ध मौत पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई की। इस दौरान जस्टिस लोया मामले की सभी हाईकोर्टों में चल रही सुनवाई पर रोक लगाते हुए सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट में एक मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ। दरअसल, याचिकाकर्ता दुष्यंत दवे ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से हरीश साल्वे के पैरवी करने का विरोध किया। दवे ने सुनवाई के दौरान कहा कि साल्वे ने पहले अमित शाह की ओर से इस मामले में पैरवी की थी और अब महाराष्ट्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे हैं। यह गलत है। इस पर साल्वे ने कहा कि हमें आपके उपदेश की जरूरत नहीं है। इस मुद्दे पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले पर आप अपने विवेक से फैसला लें, कोर्ट में कोई दखल नहीं करेगा।
बहस के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि रिपोर्ट को देखते हुए यह एक प्राकृतिक मौत दिखाई देती है। इसके जवाब में हरीश साल्वे ने कहा जब पेपर्स के अनुसार यह एक प्राकृतिक मौत है, तो फिर अमित शाह का नाम इसमें क्यों आ रहा है। हमें याचिकाकर्ता से किसी तरह के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। दुष्यंत दवे ने कहा कि इस मामले पर सरकार का जो रुख रहा है, वह सही नहीं है। हो सकता है कि यह एक प्राकृतिक मौत हो, लेकिन परिस्थिति को देखते हुए शक की गुंजाइश है। लिहाजा जांच लाजिमी है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया में आई कुछ रिपोर्ट कहती हैं कि जज लोया की मौत संदिग्ध थी। लेकिन अब तक की रिपोर्ट में माना गया कि यह मौत प्राकृतिक ही थी। सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि किसी भी हाईकोर्ट में अब जज लोया से जुड़े मामले की सुनवाई नहीं होगी। बॉम्बे हाईकोर्ट में जो दो याचिकाएं लंबित हैं, उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित किया जाए। अदालत ने दोनों पक्षकारों से कहा है कि वे अपने दस्तावेज सीलबंद कर कोर्ट को सौंपे। मामले की अगली सुनवाई 2 फरवरी, दोपहर दो बजे होगी।