लखनऊ.प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों एवं उनसे संबद्ध डिग्री व पीजी कॉलेजों में ऐसे रिटायर शिक्षकों की सेवाएं ली जाएंगी, जिनकी उम्र 70 वर्ष से कम हो। शिक्षकों की कमी को देखते उनकी नियुक्ति मानदेय पर एक वर्ष के लिए की जाएगी। शासन ने इन शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने का भी निर्णय लिया है।
अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा की ओर से राज्य विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लिए अलग-अलग शासनादेश जारी किया गया है। इसमें राज्य विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वे स्नातक व स्नातकोत्तर पाठय़क्रमों के प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में 30 जून तक रिक्त होने वाले पदों का विवरण दो महीने ही तैयार कर लें। रिटायर शिक्षक, जो 69 वर्ष की उम्र प्राप्त न किए हों, उनकी विषयवार सूची तैयार की जाए।
शासनादेश में इन शिक्षकों के चयन के लिए एक चयन समिति का भी गठन किया गया है। इसमें विश्वविद्यालय के कुलपति अध्यक्ष, कुलसचिव सदस्य संयोजक तथा संबंधित संकाय के अध्यक्ष व संबंधित विभाग के अध्यक्ष सदस्य होंगे। यह नियुक्ति एक वर्ष के लिए होगी। अगले वर्ष पुनरू नवीनीकरण किया जाएगा। ये शिक्षक 70 वर्ष की उम्र तक ही पढ़ा सकेंगे। इसमें असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर पर 25 हजार रुपये प्रतिमाह की अधिकतम सीमा के तहत 500 रुपये प्रति व्याख्यान की दर से, एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर 30 हजार रुपये प्रतिमाह की अधिकतम सीमा के तहत 600 रुपये प्रति व्याख्यान की दर से तथा प्रोफेसर स्तर पर 35 हजार रुपये प्रतिमाह की अधिकतम सीमा के तहत 700 रुपये प्रति व्याख्यान की दर से मानदेय दिया जाएगा।
नए शासनादेश के अनुसार डिग्री एवं पीजी कॉलेजों में भी अब असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर पर 25 हजार रुपये प्रतिमाह की अधिकतम सीमा के तहत 500 रुपये प्रति व्याख्यान की दर से मानदेय दिया जाएगा। पहले 20 हजार रुपये प्रतिमाह की अधिकतम सीमा के तहत 400 रुपये प्रति व्याख्यान की दर से मानदेय दिया जाता था।
इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर 30 हजार रुपये प्रतिमाह की अधिकतम सीमा के तहत 600 रुपये प्रति व्याख्यान की दर से तथा प्रोफेसर स्तर पर 35 हजार रुपये प्रतिमाह की अधिकतम सीमा के तहत 700 रुपये प्रति व्याख्यान की दर से मानदेय दिया जाएगा। पहले इन पदों पर 22 हजार व 25 हजार रुपये मानदेय दिया जाता था।