नई दिल्ली,सीबीआई अदालत द्वारा 2 जी केस से बरी किए गए डीएमके नेता और पूर्व संचार मंत्री ए राजा ने पूर्व कैग विनोद राय पर को बहस की चुनौती दी है। एक अंगरेजी समाचारपत्र से बातचीत में राजा ने कहा कि राय संवैधानिक शक्ति के उल्लंघन के दोषी हैं।
राजा से जब पूछा गया कि अपनी किताब में वह पूर्व कैग राय को विलन नंबर एक के रूप में दर्शा रहे हैं और कह रहे हैं कि राय के कंधे पर बंदूक रखकर यूपीए-2 को अस्थिर करने की कोशिश की गई थी? इसपर राजा ने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि कोई इसमें विलन है। मैं केवल तथ्य रख रहा हूं। अगर आप उन्हें विलन कहते हैं तो मैं इसके लिए जिम्मेदार नहीं हूं। वह संवैधानिक शक्तियों के उल्लंघन के दोषी हैं। उनके जरूर किसी राजनीतिक दल के साथ संबंध रहे होंगे। मैं जेल में था और मैं इसकी तहकीकात नहीं कर सकता था। मुझे पक्का यकीन है कि राय के पीछे जरूर कोई राजनीतिक साजिश रही होगी। एक आईएएस अधिकारी होने के नाते उनकी कोई राजनीतिक महत्वकांक्षा नहीं होगी, लेकिन जरूर उन्हें किसी ने अपने स्वार्थ के लिए प्रयोग किया।’
यह पूछे जाने पर राय को किसने यूज किया? राजा ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने क्यों एकतरफा फैसलों से हमला किया। संचार विभाग और ऑडिट टीम के बीच पत्राचार हुआ था। कैग ने जो भी सवाल पूछे थे उसका जवाब अधिकारियों ने उचित रूप से दिया था।
यह पूछने पर कि राय ने कहा कि उनके आकलन 2008 में जो हुआ और 2010 में जैसा ऑक्शन हुआ था, उसी पर आधारित थे। आंकड़े को सनसनीखेज बनाने के पीछे मीडिया और विपक्ष का हाथ था। राजा ने कहा ‘ यह तुलना ही गलत थी। एक संवैधानिक अथॉरिटी अपने स्टाइल में काम नहीं कर सकता है। विभाग ने लाइन बाइ लाइन जो जानकारी दी थी उसमें कट ऑफ डेट, फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व्ड पॉलिसी, एक्स्चेकर लॉस, दोहरी तकनीक और आवेदकों की योग्यता के बारे में जानकारी थी और यही 5 मुख्य मुद्दे थे। संचार विभाग ने फाइल नोटिंग के जरिए साफ बताया था कि निर्णय सबकी सहमति से लिया गया था और एक्स्चेकर को कोई नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन राय ने विभाग द्वारा दिए गए जवाब को नहीं माना। अधिकारियों ने आपको समझाया। आपके खुद के अधिकारियों ने लिखित में दिया कि एक्स्चेकर को कोई लॉस नहीं हुआ है। एक कॉन्फ्रेंस किया गया और दोनों विभागों ने इस वादे वाले कागजात पर हस्ताक्षर किए, लेकिन राय ने इसका उल्लंघन किया। ऐसा क्यों हुआ? सच कहूं तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।’
यह पूछे जाने पर कि क्या राय पर मुकदमा करना चाहिए? आपराधिक षड्यंत्र के लिए या फिर भ्रष्टाचार निरोधी ऐक्ट के तहत? राजा ने कहा, ‘हां यह होना चाहिए। हालांकि वह संवैधानिक अथॉरिटी हैं और उनको संवैधानिक छूट प्राप्त है, लेकिन कम से कम से उनके खिलाफ तुरंत एक जांच कमिटी तो बैठानी ही चाहिए।’
यह पूछे जाने पर कि अगर आज आप राय से मिलेंगे तो क्या कहेंगे? राजा ने कहा, ‘मैं उनको डिबेट के लिए बुलाता हूं। मैं हाथ जोड़कर देश के चौथे खंभे से कहता हूं कि राय को एक ही मेज पर बुलाएं और चर्चा कराएं। आइए देखें कौन सही और कौन गलत है।’
डीएमके नेता ए राजा ने दी विनोद राय को बहस की चुनौती
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