नागपुर, नागपुर पुलिस के अनुसार जस्टिस लोया की मौत की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। नागपुर पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर शिवाजी बोडखे ने कहा पोस्टमॉर्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके शरीर में कोई जहर मिलने की बात से भी उन्होंने इनकार किया है। जस्टिस लोया की मौत दिसंबर 2014 में हुई थी। एक पत्रिका में उनकी मौत पर सवाल उठाए गए थे, जिसके बाद से ही उनकी मौत की जांच की मांग की जा रही है। उस समय जस्टिस लोया सीबीआई के जज थे और सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई कर रहे थे। जिसमें कई लोगों के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी आया था। यह मामला पिछले साल नवंबर में तब चर्चा में आया जब जस्टिस लोया की बहन ने उनकी मौत को संदिग्ध बताया। हालांकि, लोया के बेटे ने गत 14 जनवरी को मुंबई में कहा कि उनके पिता की मृत्यु स्वाभाविक कारणों की वजह से हुई और संदिग्ध परिस्थितियों में नहीं हुई।
इससे पहले मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार ने जज लोया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सहित कुछ दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपे। याचिकाकर्ताओं ने जब इन दस्तावेज को देखने का आग्रह किया तो राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ से कहा कि इनमें कुछ गोपनीय सामग्री भी हैं, जिसे जनता से साझा नहीं किया जा सकता है और याचिकाकर्ताओं को नहीं दी जा सकती है। जज लोया की मृत्यु की परिस्थितियों की स्वतंत्र जांच के लिये दायर दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही पीठ ने इसके बाद किसी निश्चित तारीख के बगैर ही सुनवाई एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। साल्वे ने बाद मे न्यायालय से कहा कि ये दस्तावेज याचिकाकर्ताओं के वकीलों को दिखाए जा सकते हैं, परंतु इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए और उन्हें गोपनीय वर्गीकृत करके चिन्हित कर दिया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने भी यह आश्वासन दिया कि वे किसी भी दस्तावेज को सार्वजनिक नहीं करेंगे। शीर्ष अदालत महाराष्ट्र के पत्रकार बी आर लोन और कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला द्वारा दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इसमें लोया की कथित रहस्यमय मृत्यु की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले जज लोया की कथितरूप से रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु को गंभीर मामला बताते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था।