तोगड़िया घटनाक्रम कहीं VHP-RSS के बीच टकराव का संकेत तो नहीं

नई दिल्ली,विश्व हिंदू परिषद (विहिप) नेता प्रवीण तोगड़िया को लेकर अहमदाबाद में हुआ नाटकीय घटनाक्रम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद के बीच चल रहे अंदरूनी संघर्ष की ओर इशारा करता है। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार भाजपा इस बात से नाराज है कि तोगड़िया और वीएचपी कार्यकर्ताओं ने गुजरात के विधानसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम किया। गुजरात में हालांकि भाजपा को जरूर हासिल हुई, लेकिन सीटों का आंकड़ा 115 से घटकर 99 रह जाने से पार्टी में अंदरूनी तौर पर काफी नाराजगी थी। अल्पसंख्यकों के खिलाफ आक्रामक और विवादित बयानों के लिए जाने जाने वाले तोगड़िया के नरेंद्र मोदी के साथ कभी बहुत अच्छे रिश्ते हुआ करते थे, लेकिन मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद दोनों के संबंध खराब होते चले गए। खास तौर पर सन 2007 के विधानसभा चुनाव के बाद उनके संबंधों में काफी कड़ुवाहट आ गई। कई भाजपा नेताओं को लगता है कि पिछले साल के आखिर में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में विहिप कार्यकर्ताओं ने भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी करने की काफी कोशिशें कीं।
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा उन्होंने पाटीदार आंदोलन की आग में घी डालने की कोशिश की और भाजपा के खिलाफ गुस्से को भड़काने का काम किया। यह एक बड़ी वजह थी कि हम इस बार के चुनाव में 100 सीटों का आंकड़ा पार नहीं कर पाए। भाजपा नेता ने आगे कहा कि तोगड़िया को संघ की तरफ से साफ निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें राजनीतिक मुद्दों में दखल नहीं देना है, लेकिन फिर भी चुनाव से पहले उन्होंने गुजरात में कई किसान और युवा रैलियों को संबोधित किया और सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की। एक अन्य नेता ने कहा कि आज की भाजपा वाजपेयी युग की भाजपा से एकदम अलग है। मौजूदा नेतृत्व पार्टी और संघ के अंदर से उठने वाली आलोचनाओं को बर्दाश्त नहीं करता। 29 दिसंबर को में भुवनेश्वर में वीएचपी के कार्यकारी बोर्ड की बैठक हुई थी। संघ के कुछ नेताओं की यह कोशिश थी कि प्रवीण तोगड़िया फिर से कार्यकारी अध्यक्ष ना बनें, लेकिन उनकी कोशिश परवान नहीं चढ़ सकी।
तोगड़िया के अलावा अध्यक्ष राघव रेड्डी का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा था। आरएसएस रेड्डी की जगह वी. कोकजे को अध्यक्ष बनाना चाहता था। बताया जाता है कि कोकजे को पीएम मोदी का भी समर्थन हासिल था, लेकिन तोगड़िया ने इसका कड़ा विरोध किया और रेड्डी को पद पर बनाए रखने पर जोर दिया। उनके इस रुख ने भी संघ और भाजपा को काफी नाराज कर दिया। हालांकि संघ विचारक एमजी वैद्य ने संघ परिवार में किसी भी तरह की खींचतान की बात से इनकार किया है। उन्होंने कहा हमें इंतजार करना चाहिए कि तोगड़िया उन नामों के बारे में बताएं जो उनके कथित एनकाउंटर की साजिश में शामिल थे। उन्होंने वादा किया है कि वह सही समय आने पर ऐसा करेंगे। लेकिन राजनीतिक टिप्पणीकार कुमार केतकर ने कहा संघ परिवार के अंदर चल रही खींचतान से वे सभी लोग वाकिफ हैं जो उस पर करीब से नजर रखते हैं, लेकिन किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि यह मतभेद इतनी जल्दी खुलकर सामने आ जाएंगे।

 

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