अगले कुछ महीने में हो सकती है भारी घुसपैठ – बिपिन रावत

नई दिल्ली, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने अगले कुछ महीनों में भारी घुसपैठ की आशंका जताई है। सेना प्रमुख ने कहा कि घुसपैठ की कोशिशों के कारण ही इन दिनों नियंत्रण रेखा सक्रिय बनी हुई है।
राजधानी दिल्ली में विदेश मंत्रालय और थिंक-टैंक ओआरएफ द्वारा आयोजित ‘रायसीना डायलॉग’ के हाशिए पर सवाल-जवाब सत्र के दौरान पाकिस्तान के भीतर आतंकी कैंपों की मौजूदगी का हवाला देते हुए जनरल रावत ने कहा, ”कश्मीर में आतंकवाद की आग भड़काने की कोशिश हो रही है क्योंकि लोगों को लग रहा है कि घाटी में कुछ शांति हो रही है। ऐसे में हमें नजर आ रहा है कि अगले कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर घुसपैठ हो सकती है। यही कारण है कि पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा को सक्रिय रखे हुए है और आतंकवादियों को घुसपैठ में लगातार मदद कर रही है।”
हालांकि सेनाध्यक्ष ने साफ किया कि भारतीय सेना आतंकवाद के खिलाफ अपनी पुरजोर कार्रवाई जारी रखेगी। जनरल रावत ने कहा, ”पाकिस्तानी सेना लगातार घुसपैठ में आतंकियों की मदद करती है। नियंत्रण रेखा की निगरानी के लिए अग्रिम मोर्चों पर तैनात भारतीय सेना के जवानों के खिलाफ कार्रवाई में भी उनकी सहायता करती है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम इनके खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखें।”
इससे पहले सेना प्रमुख ने रायसीना डायलॉग के मंच से इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई उसी मुल्क को करनी होती है जो इसके घाव झेल रहा होता है। जनरल रावत का कहना था कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है। लेकिन जमीन पर कार्रवाई आतंकवाद प्रभावित मुल्क को ही करनी होती है।
परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर पाकिस्तान के हौसलों की आजमाइश का न्यौता दिए जाने के बाद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत एक बार फिर इस्लामाबाद पर पलटवार किया। इस मुद्दे पर पाकिस्तान औऱ चीन की ओऱ से आई प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने, ”परमाणु हथियार एक रणनीतिक प्रतिरोधक होते हैं। इनका इस्तेमाल सर्वोच्च राजनीतिक सत्ता की इजाजत के बाद ही किया जा सकता है। मगर, यदि आपको दुश्मन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा जाता है तो मुझे नहीं लगता कि आप केवल इसलिए रुक जाएंगे क्योंकि उस मुल्क के पास परमाणु हथियार हैं।”
डोकलाम इलाके में चीनी सेना और उसके सैन्य निर्माण की मौजूदगी पर उठ रही आशंकाओं पर भी सेना प्रमुख ने जवाब दिया। जनरल रावत ने कहा, ”उत्तरी डोलम इलाके में चीनी सैनिकों की मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन उनकी संख्या उतनी नहीं है जितना पहले थी। यह भी सच है कि उन्होंने वहां कुछ निर्माण किया है लेकिन वो अधिकतर अस्थाई किस्म का है।”
उन्होंने कहा, ”चीन के बहुत से सैनिक तो वापस लौट गए हैं लेकिन सैन्य निर्माण और साजो-सामान अभी वहां मौजूद है। ऐसे में केवल कयास लगाया जा सकता है कि वो वापस लौटने वाले हैं या केवल सर्दियों के कारण अपना सामान वापस नहीं ले गए। इतना ही कहा जा सकता है कि अगर वो वापस लौटेंगे तो हम भी सामने होंगे।”
हालांकि सेना प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि डोकलाम विवाद के बाद भारत औऱ चीन के बीच तनाव कम करने की व्यवस्था बखूबी काम कर रही है। सेनाध्यक्ष के मुतबिक समय-समय पर बॉर्डर पर्सनल मीटिंग हो रही है, स्थानीय कमांडर स्तर पर संवाद संपर्क बरकरार है। यह कहा जा सकता है कि काफी हद तक विश्वास बहाली हुई है। मगर, इतना जरूर है कि हमें हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

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