रिकार्डेड बातचीत से खुला राज, जज घूस के लिए करते थे कूट शब्दों का प्रयोग

नई दिल्ली,सर्वोच्च न्यायालय की रोक के बावजूद चिकित्सा महाविद्यालयों में छात्रों को दाखिला देने के घोटाले में न्यायाधीशों की भूमिका को लेकर अब एक और खुलासा हुआ है। सीबीआई की जांच के दौरान सामने आई रिकॉर्ड की गई बातचीत से पता लगा है कि घोटाले में शामिल न्यायाधीश घूस लेने के लिए ‘प्रसाद’, ‘मंदिर’, ‘बही’, ‘गमला’ और ‘सामान’ जैसी कूट भाषा का इस्तेमाल करते थे।
ज्ञात हो कि इस मामले में ओडिशा के अवकाशप्राप्त जज आईएम कुद्दुसी को गिरफ्तार किया जा चुका है। वह फिलहाल जेल में हैं। सीबीआई द्वारा की गई आईएम कुद्दुसी और बिचौलिए विश्वनाथ अग्रवाल और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के बीपी यादव के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग से यह बात सामने आई है। बातचीत से यह भी पता लगा है कि बिचौलियों ने कॉलेज के मालिकों को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया तक से राहत दिलाने का वादा किया है।
मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो मौजूदा जज भी सीबीआई की जांच के घेरे में हैं। इतना ही नहीं, आरोपियों को सरकार की ओर से बिचौलियों और फिक्सर्स पर की गई सख्ती का डर भी सता रहा था। रिकॉर्डिंग में अग्रवाल कहते हैं कि संबंधित व्यक्ति से मुलाकात इसलिए संभव नहीं है क्योंकि ‘चायवाले की सरकार’ सबको देख रही है।
ओडिशा के व्यापारी ने 500 प्रतिशत गारंटी दी कि काम हो जाएगा। एक बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट में अग्रवाल रिटायर्ड जज कुद्दुसी को आश्वस्त करते हैं कि उनके ‘फादर’ और ‘कैप्टन’ सबकुछ करने को तैयार हैं। वे अपना 100 प्रतिशत देंगे।’ बातचीत में एक जगह यादव अग्रवाल से अग्रवाल कहते हैं कि उन्हें जज की बातों पर भरोसा है। अग्रवाल फिर से यादव को याद दिलाते हैं कि अगर ‘प्रसाद’ नहीं दिया गया तो यह मसला सुलझेगा नहीं।
जब इन कोडवर्ड्स को लेकर सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ‘सीबीआई ट्रांसक्रिप्ट्स की न तो पुष्टि करती है और न ही इसे खारिज करती है।’ बातचीत से यह भी खुलासा होता है कि बिजनसमैन अग्रवाल को यह भी भरोसा था कि उसे ‘इलाहाबाद के मंदिर’ और ‘दिल्ली के मंदिर’ से अपने हित में फैसला मिलेगा। अवकाश प्राप्त न्यायाधीश कुद्दुसी के अलावा इस मामले में बिजनसमैन अग्रवाल सबसे बड़ा चेहरा है जो जजों को अपनी बातों में फंसाकर खराब व्यवस्था वाले मेडिकल कॉलेजों के मालिकों के मामलों को सुलझाने का काम करता था।
बीते साल सीबीआई ने इस घोटाले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया था उनमें रिटायर्ड जस्टिस इशरत मसरूर कुद्दूसी के अलावा एक बिचौलिया बिश्वनाथ अग्रवाल, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के मालिक बी. पी. यादव और पलाश यादव के अलावा हवाला ऑपरेटर राम देव सारस्वत शामिल हैं। कुद्दूसी पर आरोप है कि उन्होंने न केवल प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को कानूनी मदद मुहैया कराई बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी मामले में मनमाफिक फैसला दिलाने का वादा किया था।
एजेंसी को सूचना मिली थी कि प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज उन 46 कॉलेजों में से एक था, जिन पर सरकार ने अगले 1 या 2 सालों के लिए चिकित्सा छात्रों को प्रवेश देने पर रोक लगाई थी। घटिया सुविधाएं और आवश्यक मानदंड की पूर्ति नहीं कर पाना इसकी मुख्य वजह थी। कॉलेज के मालिक बीपी यादव और पलाश यादव ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बाद में सीबीआई को सूचना मिली कि बीपी यादव रिटायर्ड जस्टिस कुद्दूसी के संपर्क में थे।

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