जबलपुर,प्रदेश के डेंटल कॉलेजों में नीट परीक्षा पास किए बिना दाखिले देने के मामले को हाईकोर्ट ने एक बार फिर गंभीरता से लिया है जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि आखिरकार क्यों अब तक छात्रों के दाखिले निरस्त नहीं किए गए। मामले पर अगली सुनवाई की तारीख २९ जनवरी तय की गई है। दरअसल सत्र २०१६ में डेंटल कॉलेजों में करीब १०० छात्रों को दाखिला दे दिया गया जिन्होंने नीट का एग्जाम ही नहीं दिया था जबकि नियम है कि बिना नीट एग्जाम पास किये कोई भी छात्र मेडिकल कोर्स में प्रवेश नहीं ले सकता। पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद मामला जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचा जिस पर हाईकोर्ट ने पहले सरकार को निर्देश दिए थे कि इस पूरे मामले की जांच कर दोषी पाए गए छात्रों का एडमिशन तत्काल तौर पर निरस्त कर दिया जाए। खास बात ये है इसकी जांच में करीब ८३ छात्रों को दोषी भी पाया गया। जांच में यह बात साफ हो गई कि प्रदेश के अलग-अलग डेंटल कॉलेजों में इन ८३ छात्रों ने नियम विरुद्ध प्रवेश पाया। जांच पूरी होने के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति ने सभी ८३ छात्रों के नामांकन रद्द करने निर्देश दिए थे लेकिन आज भी यह सभी छात्र मेडिकल कॉलेजों में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं इन सभी का दाखिला अब तक निरस्त नहीं किया गया। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में फिर से जनहित याचिका दायर की गई है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस हेमंत गुप्ता एवं जस्टिस विजय शुक्ला की बेंच ने मध्य प्रदेश सरकार और डीएमई समेत अन्य को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जांच और दोष सिद्ध होने के बाद भी छात्रों के प्रवेश निरस्त क्यों नहीं किए गए? मामले की अगली सुनवाई २९ जनवरी को होगी।