शाढ़ौरा,भाजपा सरकार अपने एक दशक से ज्यादा के कार्यकाल के बाद भी सहरिया आदिवासियों के घरों तक पीने का पानी नहीं पहुंचा पाई है,नतीजतन स्कूल जाने की उम्र में उनके बच्चों को काफी दुरी तय कर घर के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. सरकार के वादे तब हवा होते नजर आये जब पीने के पानी के लिए 4 और 6 साल के बच्चे पौन किलोमीटर दूर से अपने वजन के बराबर के पानी के वर्तन को सिर पर रखकर चलते दिखे.
यह दृश्य गत दिवस स्थानीय हायरसेकण्ड्री स्कूल प्रांगण का है, जब स्कूली बच्चे युवा दिवस पर सूर्य नमस्कार कर स्वामी विवेकानंद को याद कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं का संदेश सुन रहे थे. तब बस स्टैंड के नजदीक रहने वाले राजा सहरिया 4 साल एवं उसकी बहन कल्लो सहरिया 6 साल अपने परिवार के पीने के पानी के लिए हायरसेकण्ड्री स्कूल मैदान में लगे टय़ूबवेल से किसी की मदद से पानी भरकर वर्तनों को अपने सिर पर उठाने की भरसक कोशिश करते हैं. मगर यह नन्हे मुन्ने बच्चे इन बर्तनों को अपने सिर पर रखने में कामयाब नहीं होने पर स्कूल के चपरासी द्वारा उनकी मदद कर उनके बर्तनों को उनके सिर पर रख कर उनको उन्हें घर की ओर रवाना किया. बस स्टैंड के नजदीक लगभग 100 वर्षों से 10 सहरिया परिवार रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. इनकी कॉलोनी सड़क के किनारे होने से इनके बच्चों को खेलने में परेशानी रहती है क्योंकि गुना-अशोकनगर रोड पर काफी मात्रा में प्रतिदिन वाहन गुजरते हैं. लेकिन कभी भी ना ग्राम पंचायत द्वारा और ना ही अब नवगठित नगर परिषद ने इन सहरिया परिवारों के लिए पानी का कोई बंदोबस्त नहीं किया है. जरूरत है इन परिवारों के बीच एक हैंडपंप लगाए जाने कि जिससे नन्हे-मुन्ने बच्चों को पीने के पानी के लिए दूर-दूर जाना ना पड़े यह सहरीया परिवार के मुखिया अपनी मजदूरी के लिए सुबह से निकल जाते हैं और बच्चों के लिए पीने के पानी के बंदोबस्त के लिए छोड़ देते हैं जहां एक ओर उनके माता पिता की भी जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को इस तरह के कार्य से रोक कर उन्हें शासन की मुख्यधारा से जोड़ते हुए स्कूलों में भेजें और उनके जीवन स्तर को उठाएं.