नई दिल्ली,अगर आप अपने बच्चों से कठोर शब्दों में बात कर रहे हैं, तो गलती से भी ऐसी बातें न कहें जिससे बच्चे का मनोबल टूट जाए। कई बार मां-बाप बच्चों की तुलना खुद से करने लगते हैं। इससे न सिर्फ बच्चों में गुस्सा बढ़ता है, बल्कि बच्चों के मन में माता-पिता के प्रति सम्मान भी कम हो जाता है। इतना ही नहीं, कई बार बच्चों के मन में इससे हीनभावना भी भर जाती है, जिसकी वजह से उनमें आत्मसम्मान की भावना कम होती है और कॉन्फिडेंस लेवल डाउन हो जाता है। इसलिए बच्चों की तुलना किसी से न करें। भले ही आपका बच्चा सही वक्त पर सही फैसला न ले पा रहा हो, लेकिन उसे कभी इस बात का अहसास न करवाएं कि उसका हर फैसला गलत होता है। दरअसल बच्चा अभी सीखने की प्रक्रिया में है, लेकिन अगर उसे ऐसा लगने लगेगा कि वह गलत फैसले ही लेता है, तो वह फैसले लेना ही छोड़ देगा। इस तरह उसका मानसिक विकास रुक जाएगा। इसलिए गलत फैसला लेने के बावजूद अपने बच्चे को फैसला लेने के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही यह भी बताएं कि फैसला लेते वक्त किन बातों का ध्यान रखना है। आप बच्चे की तुलना अपने आप से न करें। आप भी जब छोटे थे तो आपमें कई कमियां रही होंगी। उसे अपने बचपन का मजा लेने दें, उसे ‘परफेक्ट चाइल्ड’ बनाने की जरूरत नहीं है। अपने फैसले खुद लेने से ही बच्चा आगे बढ़ेगा। अगर उसके फैसले गलत साबित होते हैं, तो उससे वह सीखेगा और आगे सही निर्णय लेगा। गलत फैसला लेने के लिए आपकी डांट उसे डराने और कॉन्फिडेंस कम करने के अलावा कुछ नहीं कर सकती है। इस तुलना की कोई जरूरत नहीं है। हर बच्चे का विकास अलग-अगल तरीके से होता है। वे अपने अलग-अलग अनुभवों से सीखते हैं। कहीं ऐसा न हो कि हर बात पर बेवजह की तुलना बच्चों में आपस में मतभेद पैदा कर दें। बेशक आपके पास कई जिम्मेदारियां हैं, जिनसे कभी-कभी आप परेशान हो जाते होंगे और अकेला रहना चाहते होंगे। लेकिन आपका बच्चा आपकी परेशानियों से बिल्कुल अनजान है। ऐसे में उससे ऐसा कहना उसके मन पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। ऐसा कहना बच्चे तो क्या किसी बड़े को भी काफी आहत कर सकता है। ऐसे में बच्चों से ऐसा कहना बिल्कुल उचित नहीं है।