मुंबई -ठाणे की जमीन नीलकंठ सोसायटी को 99 साल की लीज पर देने का मामला खुलने जा रहा

भोपाल,मध्यप्रदेश सरकार के सार्वजनिक उपक्रम पीआईसी(प्राविडेंट इंवेस्टमेंट कंपनी लि) की मुंबई ठाणे की जमीन नीलकंठ सोसायटी को 99 साल की लीज पर देने का फिर खुलने जा रहा हैं। इस मामले में वित्त विभाग के तत्कालीन मंत्री प्रमुख सचिव,सचिव और उप सचिव नाम सामने आ रहा है। वित्त विभाग ने मामले से संबंधित सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंप दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि सिंधिया राजघराने की 314 एकड़ जमीन को राजनैतिक और आईएएस अफसरों की सांठ-गांठ से बेचने के 92 साल पुराने मामले में सीबीआई ने तीन अलग-अलग अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें एक एफआईआर मप्र फायनेंस डिपार्टमेंट और पीआईसी, दूसरी एफआईआर सरकारी जमीन पर बिल्डिंग परमीशन देने पर ठाणे म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन और तीसरी एफआईआर ठाणे के बिल्डरों के खिलाफ दर्ज की गई है।सीबीआई ने इस मामले से संबंधित राज्य सरकार से दस्तावेज मांगे थे,जिन्हें सीबीआई को सौंप दिया गया है।
मप्र की पीआई कंपनी के आधिपत्य वाली करोड़ों रुपए की जमीन में केन्द्र सरकार का भी हक है। जिसके चलते राज्य सरकार केन्द्र की अनुमति के बगैर जमीन किसी के नाम ट्रांसफर नहीं कर सकती। वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि 2001 में ठाणे की जमीन को लीज पर दिए जाने की फाइल पर कई महत्वपूर्ण लोगों के हस्ताक्षर हैं। इनमें तत्कालीन वित्त अधिकारी भी शामिल हैं। तत्कालीन उप सचिव के हस्ताक्षर से जमीन को लीज पर दिए जाने का आदेश जारी हुआ था।
कहानी की शुरुआत तब हुई जब अविभाजित परिवार की तरफ से मथुरादास गोकुलदास ने ठाणे जिले के यऊर व माजीवाड़ा राजस्व गांव में स्थित अपनी जमीन ग्वालियर दरबार के पास गहन रख दी। उन्होंने इसकी एवज में राज परिवार से ऋण हासिल किया था। तीन सितंबर1925 को बांबे के सब रजिस्ट्रार आफिस में दोनों पक्षों में करार किया गया। बिचौलिया फ्रेम रोज एदुलजी दिनशा के जरिये समझौता सिरे चढ़ाया गया। मथुरादास गोकुलदास को ग्वालियर राज्य रेलवे के फंड से ऋण दिया गया। आजादी के बाद इसका समायोजन भारतीय रेलवे मेंकर दिया गया। सारी संपत्ति भी केंद्र सरकार के पास स्थानांतरित कर दी गई। उसी दौरान पीआइसी मध्य प्रदेश सरकार की सार्वजनिक उपक्रम की कंपनी बन गई और उसे जिम्मा दिया गया कि केंद्र की तरफ से बांबे,पुणे व ठाणे की रहन रखी संपत्तियों की देखरेख का काम करे। इधर मामले की गंभीरता को देखते हुए वित्त विभाग ने जब पीआई कंपनी का ऑडिट कराया तो करोड़ों रुपए का घालमेल सामने आया। इसमें पीआई कंपनी की जमीन को खुर्दबूर्द करने के मामले में बोरिकर का हाथ सामने आने पर कंपनी के एमडी अनिरूद्ध मुकर्जी ने बोरिकर को टर्मिनेट करते हुए मुंबई पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई।

 

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