बैतूल,अल्प बारिश के बाद जिले के अधिकांश ब्लाकों में अभी से हालात बेकाबू हो गए हैं। कुछ ब्लाकों में तो अप्रैल-मई जैसी स्थिति अभी से निर्मित हो गई है। सूखे के लिए प्रख्यात आठनेर, मुलताई, प्रभात पट्टन जैसे ब्लाकों में तो हालात जरूरत से ज्यादा खराब हैं। यहां भले ही अभी जल संकट की आहट नहीं दिखाई दे रही है, लेकिन पीएचई के आकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो स्थिति भयावह हो गई है। इन ब्लाकों में जल स्तर इतना गिर गया है कि अप्रैल मई में स्थिति बेकाबू होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिला कई वर्षों से विपदाओं और असामयिक स्थितियों से निपट रहा है। किसानों से लेकर हर तबका खासकर जल संकट से खासा परेशान हैं। इसकी वजह अल्प बारिश को कहीं न कहीं जिम्मेदार माना जा रहा है। दूसरी ओर पर्यावरण प्रेमी और जल संरक्षण के जानकार पानी के दोहन के लिए कहीं न कहीं जिले के लोगों को ही दोषी मान रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि जरूरत के समय पानी का दुरूपयोग जरूरत से ज्यादा हो रहा है, यही वजह है कि दिसम्बर माह में जिले के कुछ ब्लाकों में स्थिति बिगडऩे लगी है। भले ही अभी गांव के कुछ पोखरों के अलावा कुएं साथ दे रहे हैं, लेकिन चंद दिनों बाद इनमें भी पानी खत्म होने के आसार हैं। इधर पीएचई ने दिसम्बर माह में जो रिपोर्ट तैयार की है यदि इस पर नजर दौड़ाएं तो भूमिगत जल स्तर ने सभी को चिंता में डाल दिया है। कुछ ब्लाकों में जल स्तर अप्रैल मई के माह जैसी स्थिति निर्मित कर गया है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो इस बार गंभीर पेयजल संकट गहराने के आसार हैं।
दिसम्बर माह में पीएचई ने जो रिपोर्ट तैयार की है यह चौकाने वाली है। इसमें बैतूल में गत वर्ष 30 जून 2017 को 26.69 मीटर जल स्तर नापा गया था। 31 दिसम्बर तक यह जल स्तर महज 8.92 पर सिमट गया है। इसके बावजूद हालात अभी बेकाबू नहीं हुए हैं। इधर मुलताई ब्लाक में 38.21 मी की अपेक्षा दिसम्बर में 32.53 मी, आमला में 27.15 की अपेक्षा 14.22 मी, चिचोली में 21.52 की अपेक्षा 16.21 मी, प्रभात पट्टन में 39.47 की अपेक्षा 32.53 मी, भैंसदेही में 32.93 की अपेक्षा 27.29 मीटर जल स्तर गिर गया है। इसके अलावा अन्य ब्लाकों की यही स्थिति है। कुल मिलाकर अधिकांश ब्लाकों में 6 मीटर से 10 मीटर तक 6 माह में जल स्तर गिरने की रिपोर्ट पीएचई ने दी है।
तेजी से गिर रहा जल स्तर
पीएचई की रिपोर्ट में भले ही मुलताई में जल स्तर की स्थिति दूसरे ब्लाकों से ठीक बताई जा रही है, लेकिन यहां तेजी से जल स्तर गिर रहा है। दिसम्बर अंत तक के आकड़ों के अनुसार भूमिगत जल स्तर में मुलताई की जो स्थिति बताई जा रही है वह अप्रैल और मई के समान है। यहां जल स्तर तेजी से घट रहा है। इसी वजह ताप्ती सरोवर को भविष्य में सुरक्षित रखने के मद्देनजर हर दिन कई टैंकर पानी उडेला जा रहा है। जनवरी के प्रथम माह में हर दिन एक दर्जन टैंकर पानी सरोवर में डालकर नगर पालिका इसे सुरक्षित रखने के प्रयास कर रही है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यदि जल स्तर और तेजी से गिरने पर टैंकरो से पानी न डालने के बाद ताप्ती सरोवर में पानी काफी कम हो सकता है।