स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर SC ने सभी राज्यों से मांगा जवाब 23 को सुनवाई,तीन ख़ास निर्देश भी दिए

नई दिल्ली,सोहना के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में छात्र की हत्या के बाद स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गाइडलाइन बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा की सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों से 19 जनवरी तक बच्चों की सुरक्षा को लेकर अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अब तक केवल हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक सरकार ने ही जवाब दाखिल किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 23 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई करेगा। वहीं निजी स्कूलों कि तरफ से कोर्ट में कहा गया कि निजी स्कूलों की लिए तो गाइडलाइन है, लेकिन सरकारी स्कूलों के लिए कोई गाउड लाइन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको जो कहना है 23 जनवरी को मामले की सुनवाई के दौरान कहिए।
पिछली सुनवाई में नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ़ इंडिया और इंडिपेंडेंट स्कूल ऑफ़ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इस मामले में पक्ष बनाने की मांग की थी। स्कूल फेडरेशन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का इस मामले कोई भी आदेश आएगा उससे वे प्रभावित होंगे, ऐसे में उनका पक्ष भी सुना जाना चाहिए। वहीं इस मामले में केंद्र सरकार ने कहा कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर पहले से पर्याप्त गाइड लाइन है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट छात्र के पिता, वक़ील आभा शर्मा व अन्य वकीलों की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इस याचिका में कहा गया है कि रेयॉन की घटना के बाद से देश भर के अभिभावकों में डर का माहौल है। बच्चों की सुरक्षा के लिए जो नीति तैयार की गई है, ज्यादातर स्कूल उसका पालन नहीं करते। सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी करे कि इनका सही तरह से पालन हो। इसके अलावा देश भर में बच्चो की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त गाइडलाइन बनाई जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि जो पहले से ही जो दिशा निर्देश बनाए गए है। कोई स्कूल अगर उनका पालन नहीं करेगा तो उस स्कूल का लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए।
बापू की हत्या की जांच
एमिकस क्यूरी बोले- जांच की जरूरत ही नहीं
महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच नहीं होगी, जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त एमिकस क्यूरी अमरेंद्र शरण ने जवाब दाखिल किया। उन्होंने कहा है कि इस केस की दोबारा जांच की ज़रूरत नहीं है। सोमवार को एमिकस क्यूरी ने कहा है,पहले पुख्ता जांच हुई। किसी विदेशी एजेंसी का हाथ होने, दो लोगों के फायरिंग करने और चार गोली चलने के दावों में दम नहीं है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मुंबई के शोधकर्ता और अभिनव भारत के न्यासी डॉ.पंकज फडणीस ने दुबारा जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि गांधीजी की हत्या में किसी विदेशी एजेंसी का हाथ हो सकता है। बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने महात्मा गांधी की हत्या की जांच फिर से कराए जाने की मांग करने वाली याचिका पर तमाम सवाल पूछे थे और भारत वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र शरण को एमेकस क्यूरी (पूर्व सॉलिसिटर जनरल) नियुक्त किया था। डॉ. पंकज फडणीस की तरफ से याचिका में विभिन्न पहलुओं पर जांच फिर से कराए जाने की मांग की गई थी। इसमें दावा किया गया है कि यह (महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ी जांच) इतिहास का सबसे बड़ा पर्दा डालना रहा है। नाथूराम विनायक गोडसे ने तीस जनवरी 1948 को नजदीक से गोली मारकर गांधी की हत्या कर दी थी।
समलैंगिकता सही या अपराध?
फैसले पर पुनर्विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
सर्वोच्च न्यायालय भारतीय दंड संहिता की धारा 377 यानी समलैंगिकता को अपराध घोषित करने वाली धारा को सही ठहराने वाले अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार हो गया है। शीर्ष अदालत ने इस मामले को बड़ी बेंच के लिए रेफर कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि नाज फाउंडेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के सन 2013 के फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है, क्योंकि हमें लगता है कि इसमें संवैधानिक मुद्दे जुड़े हुए हैं। दो व्यस्कों के बीच शारीरिक संबंध क्या अपराध हैं, इस पर बहस जरूरी है। अपनी इच्छा से किसी को चुनने वालों को भय के माहौल में नहीं रहना चाहिए। देश के सभी लोगों को अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार के तहत कानून के दायरे में रहने का अधिकार है। नाज फाउंडेशन ने याचिका में कहा कि सामाजिक नैतिकता समय के साथ बदलती है। इसी तरह कानून भी समय के साथ बदलता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में नवतेज सिंह जौहर, सुनील मेहरा, अमन नाथ, रितू डालमिया और आयशा कपूर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को समलैंगिकों के संबंध बनाने पर आईपीसी 377 के कार्रवाई के अपने फैसले पर विचार करने की मांग की है।

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