मोदी सरकार आखिरी पूर्ण बजट में मध्यम वर्ग के लिए खोल सकती है राहत का पिटारा

नई दिल्ली,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सन 2019 के आम चुनाव से पहले अपने आखिरी पूर्ण बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दे सकती है। मध्यवर्ग भाजपा का बडा आधार माना जाता है। चुनाव में उतरने से पहले सरकार मध्य वर्ग को साधने के लिए करों में बड़ी राहत दे सकती है। बजट को लेकर सरकार के बीच विचार-विमर्श शुरू हो गया है।
सरकार और पार्टी के एक बड़े वर्ग का कहना है कि बजट में मध्य वर्ग के लोगों का ख्याल रखा जाना चाहिए। सरकार में कर छूट, हेल्थ इंश्योरेंस पर अतिरिक्त लाभ, एफडी पर अधिक ब्याज का ऐलान किए जाने पर विचार किया जा रहा है। बीते कुछ महीनों में सेंसेक्स में उछाल और म्युचूअल फंड्स के रिटर्न में इजाफा होने के चलते इन सरकारी निवेश योजनाओं का आकर्षण घटा है। बीते दिनों वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि सरकार लोगों के पास अधिक फंड छोड़ने पर विश्वास करती है, ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा खर्च और निवेश कर सकें।
हालांकि कॉर्पोरेट टैक्स में कमी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के चलते राजस्व घटने की वजह से सरकार को लोगों को रियायत देने के लिए संसाधन तलाश करने होंगे। सूत्रों का कहना है कि सरकार का एक वर्ग स्टॉक मार्केट ट्रांजैक्शंस पर लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ को बढ़ाने के पक्ष में है। सूत्रों के मुताबिक पांच लाख रुपये तक के लेनदेन पर यह राहत मिलेगी। इसके अलावा लेवी भी दस फीसदी से भी कम की जा सकती है। राजग सरकार मध्य वर्ग और गरीब तबके के लोगों को लुभाने वाला बजट पेश करने की तैयारी में है। हाल ही में इस वर्ग को राहत देने के लिए सरकार ने 200 वस्तुओं को 28 फीसदी जीएसटी के दायरे से बाहर किया है। नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर एक सूत्र ने कहा कि इससे 5,000 निवेशक प्रभावित होंगे, लेकिन इससे पांच करोड़ परिवारों को लाभ भी होगा। सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ चर्चा के बाद प्रधानमंत्री मोदी राजनीतिक लिहाज से बड़ा फैसला लेते हुए कर में रियायत दे सकते हैं।
यदि सरकार इस दिशा में आगे बढ़ती है, तो टैक्स में छूट का फैसला लेते हुए सरकार को यह ध्यान में रखना होगा कि इससे उसके फ्लैगशिप कार्यक्रमों के लिए संसाधनों की कमी नहीं हो सके। फिलहाल 2.5 लाख रुपए तक की आय पर कोई कर नहीं है। इसके अलावा पीपीएफ और पांच साल के लिए बैंक खातों में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर छूट मिलती है। वहीं, इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80सी के तहत भी टैक्स में कई तरह की छूट मिलती हैं।

 

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