रांची,चारा घोटाला मामले में रांची की सीबीआई अदालत आज भी फैसला नहीं सुना सकी,इस पर अब कल फैसला आएगा,गौरतलब है बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव समेत कुल 16 आरोपियों की सज़ा का ऐलान किया जाना है।लालू को इस मामले में पहले ही दोषी करार दिया जा चुका है। लालू को शुक्रवार को सजा सुनाई जाएगी। सुनवाई के दौरान सीबीआई के विशेष जज शिवपाल सिंह ने कहा कि लालू के समर्थक उन्हें फोन कर पूछते हैं कि क्या होगा! इस पर आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि अगर ऐसा है तो जज को इस मामले की शिकायत करनी चाहिए। रांची की विशेष सीबीआई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को लालू प्रसाद भी मौजूद रहे। लालू ने आज ही अपनी सजा सुनाने की अपील की। जानिए, इस दौरान जज शिवपाल सिंह और लालू प्रसाद यादव के बीच हुए सवाल-जवाब। जज ने लालू प्रसाद यादव से कहा कि मुझे आपके शुभचिंतकों ने दूर-दूर से फोन किया। मैं उनसे कह देता हूं कि मुझे भी नहीं पता कि केस में क्या फैसला आएगा। लालू ने अपनी सफाई दी कि सब जगदीश शर्मा ने रफा-दफा किया, मैं इस मामले में निर्दोष हूं। जज ने लालू से कहा कि आपने त्वरित कार्रवाई नहीं की। मामले को लटका कर रखा। आप वित्त मंत्री और मुख्य मंत्री थे। जज ने कहा, ‘हाई कोर्ट के आदेश का पालन होता तो बात कूछ और होती। लालू ने कोर्ट की अवमानना पर अनुरोध किया। कोर्ट ने कहा सब लोगों ने बदजुबानी की है। कोर्ट ने कहा हम सर्वे-सर्वा नहीं हैं। कोर्ट ने लालू से कहा यहां कोई जात-पात नहीं होता। इस पर लालू ने चुटकी ली अब तो इंटरकास्ट मैरिज भी होती है। लालू ने कहा हम वकील भी हैं तो जज ने कहा आप डिग्री ले लीजिए लोगों को प्रेरणा मिलेगी। लालू ने फिर से आग्रह किया कि मामले की जल्द सुनवाई हो। लालू ने कहा कि रांची में पहुच ठंड होती है। इस मामले में शुक्रवार से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होगी। लालू ने कहा कि हम कोर्ट आ जाएंगे। इस पर जज ने कहा कि कल क्या होगा, कल ही देखेंगे।
– कितनी हो सकती है सजा
लालू के वकील चितरंजन प्रसाद ने बताया कि इस मामले में अगर लालू और अन्य को दोषी ठहराया जाता है तो उन्हें अधिकतम सात साल और न्यूनतम एक साल की कैद की सजा होगी। हालांकि, सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में गबन की धारा ४०९ के तहत १० साल और धारा ४६७ के तहत आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती है। लालू को अगर ३ साल से कम की सजा सुनाई जाती है तो उन्हें तुरंत बेल मिल सकती है जबकि इससे अधिक सजा पर वकीलों के बेल के लिए हाईकोर्ट का रुख करना पड़ेगा।
– क्या है पूरा मामला?
साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर अवैध ढंग से 89 लाख, 27 हजार रु निकालने का आरोप है। इस दौरान लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। हालांकि, ये पूरा चारा घोटाला 950 करोड़ रु का है, जिनमें से एक देवघर कोषागार से जुड़ा केस है। इस मामले में कुल ३८ लोग आरोपी थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्टूबर, १९९७ को केस दर्ज किया था। लगभग 20 साल बाद इस मामले में फैसले आया था। इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये अवैध ढंग से निकालने के चारा घोटाले के एक दूसरे केस में सभी आरोपियों को सजा हो चुकी है।