नई दिल्ली, यह सिर्फ आनंद ही कर सकते थे और उन्होंने बताया की वह खेल जिसके लिए वह बचपन से लाइटनिंग किड के नाम से जाने जाते थे वह आज भी उनकी खासियत है।48 वर्ष की उम्र में अपनी उम्र से आधे से भी कम के खिलाड़ियों को पराजित करते हुए उन्होंने विश्व रैपिड का स्वर्ण तो विश्व ब्लिट्ज़ का कांस्य पदक हासिल किया। दोनों फॉर्मेट में मिलाकर खेल गए कुल 36 मैच में से आनंद नें 15 मैच जीते। 20 ड्रॉ रहे जबकि सिर्फ 1 में उन्हे हार का सामना करना पड़ा। रैपिड में उन्होने अंतिम मुक़ाबले में ग्रीसचुक तो ब्लिट्ज़ में मेक्सिम लाग्रेव को हराते हुए दिखाया की उनमे अब भी दबाव के झणों में बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है और सच तो यह है की फिलहाल विश्व शतरंज में उनसे ज्यादा अनुभव किसी के पास है ही नहीं पाँच बार के विश्व शतरंज चैम्पियन विश्वनाथन आनंद नें जैसे भारत के शतरंज और खेल प्रेमियों के लिए जैसे नए वर्ष से पहले दोहरी खुशी का दिया है और विश्व रैपिड शतरंज चैम्पियन बनने के साथ साथ उन्होने विश्व ब्लिट्ज शतरंज में भी कांस्य पदक हासिल करते हुए एक अनोखा कारनामा किया है और फिलहाल वह ऐसा करने वाले 2017 में अकेले खिलाड़ी रहे जिन्होने दोनों स्पर्धा में पदक अपने नाम किए ।