देहरादून, अगर सब सही रहा तो आने वाले दिनों में मदरसों में भी संस्कृत पढ़ाई जाएगी। यह शुरुवात घाटी के राज्य उत्तराखंड से हो सकती है। दरअसल आयुर्वेद और योग से जुड़ी शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए उत्तराखंड के मदरसों में अगले सत्र से संस्कृत पढ़ाए जाने की मांग की जा रही है। देहरादून,हरिद्वार,नैनीताल और उधमसिंह नगर जिलों में 207 मदरसों का संचालन करने वाली मदरसा वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर संस्कृत पढ़ाए जाने का ये प्रस्ताव रखा है। इन मदरसों में करीब 25000 हजार छात्र पंजीकृत है। एमडब्ल्यूएस के चैयरपर्सन सिब्ते नाबी ने कहा कि हम चाहते हैं कि मदरसे के छात्रों का भविष्य उज्जवल हो और वो आयुर्वेद की पढ़ाई भी कर सकें। चूंकि आयुर्वेद की पढ़ाई संस्कृत में होती है, इसलिए मदरसों में संस्कृत को भी पढ़ाया जाना चाहिए। सिब्ते नाबी ने कहा कि जब हम विदेशी भाषा के तौर पर अंग्रेजी पढ़ा सकते हैं तो प्राचीन भारतीय भाषा के तौर पर संस्कृत क्यों नहीं पढ़ा सकते। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग के एक्सपर्ट की डिमांड है। आयुर्वेद का बेस संस्कृत में है। संस्कृत सीखकर मुस्लिम छात्र मेडिकल एजुकेशन में कंपीट कर सकते हैं।