इलाहाबाद, प्रयाग राज के नाम से प्रसिद्ध इलाहाबाद में माघ मेला की शुरुआत दो जनवरी से होने जा रही है। इस बार माघ मेले में करीब चार करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। वहीं दूसरी तरफ माघ मेला में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को जमीन नहीं दिए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मेला प्रशासन की ओर से माघ मेला क्षेत्र में ज्योतिष्पीठ की जमीन नहीं दिए जाने से नाराज स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने पहले ही मेले का बहिष्कार करने का मन बनाया हुआ है। वहीं खबर है कि एकादशी पर 11 जनवरी को स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती इलाहाबाद आएंगे। स्वामी स्वरूपानंद के मेले का बहिष्कार किए जाने वाले निर्णय से जिला प्रशासन की नींद उड़ गई है, वहीं दूसरी तरफ उनके श्रद्धालुओं में भी रोष व्याप्त है। गौरतलब है कि माघ मेला का हिन्दू समाज में विशेष महत्व है। इसका न सिर्फ धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी है। इसलिए स्वामी स्वरुपानंद को उप्र सरकार द्वारा जमीन नहीं दिए जाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।
माघ मेले के बारे में
मकर संक्रांति के दिन माघ महीने में माघ मेला का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष इलाहाबाद में 2 जनवरी से मेला का आयोजन किया जा रहा है। माघ मेला हिन्दू समाज का ही नहीं बल्कि अन्य लोगों का भी सर्वाधिक प्रिय धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला है। यह भारत के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों में मनाया जाता है। वैसे तो नदी में या सागर में स्नान करते हुए पूजा-पाठ करना इसका मुख्य उद्देश्य होता है। मेला स्थल में धार्मिक गतिविधियों के साथ ही साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा पारंपरिक हस्त शिल्प, भोजन और दैनिक उपयोग की पारंपरिक वस्तुओं की बिक्री भी की जाती है। इस कारण मेले में हर समुदाय के लोग आते हैं और खरीद-फरोख्त के साथ ही साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। इस प्रकार धार्मिक महत्त्व के अतिरिक्त यह मेला एक विकास मेला भी है तथा इसमें राज्य सरकार विभिन्न विभागों के विकास योजनाओं को प्रदर्शित करती है। प्रयाग, उत्तरकाशी, हरिद्वार आदि स्थलों का माघ मेला विश्वस्तर पर प्रसिद्ध है।