नई दिल्ली, तीन तलाक से सम्बंधित विधेयक आज शाम संसद में पारित हो गया,कांग्रेस ने विधेयक को समर्थन का एलान किया था.उसकी और से कोई संसोधन भी पेश नहीं किये गए अलबत्ता उसकी और से विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी में भेजने का सुझाव मलिकार्जुन खड़गे की ओर से दिया गया,लेकिन किसी भी तरह के संसोधन सरकार की तरफ से स्वीकार नहीं किये गए. इसबीच विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक के पारित होने पर आज के दिन को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा कि इससे मुस्लिम महिलाओं की गरिमा और न्याय को सुनिश्चित किया जा सकेगा. यह किसी भी प्रकार शरियत में दखल नहीं है. रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण ) विधेयक 2017 लोकसभा में पारित होने पर मेज थपथपा कर उसका स्वागत किया. उन्होंने कहा की इसके पारित हो जाने पर मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण हो सकेगा. गौतलब है,उच्चतम न्यायालय पहले ही तीन तलाक को गैरकानूनी करार दे चुका है लेकिन फिर भी तीन तलाक के मामले लगातार सामने आ रहे थे. कांग्रेस ने इसमें खामियां बताते हुए इसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई और सवाल किया कि महिलाओं के गुजारे-भत्ते का क्या होगा और महिला आरक्षण विधेयक कब पेश किया जाएगा. रविशंकर प्रसाद ने सदन से अपील की कि इस विधेयक को सियासत की आंखों से नहीं देखा जाए, दलों की दीवारों में नहीं बांधा जाए, मजहब के तराजू पर नहीं तोला जाए और वोट बैंक के खाते से नहीं परखा जाए। उन्होंने सभी सदस्यों से सियासी झगड़े छोड़कर विधेयक को पारित कराने का आग्रह किया.
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 पर सदन में चर्चा के लिए आगे बढ़ाते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 22 अगस्त को तलाक-ए-बिद्दत को पूरी तरह असंवैधानिक बताते हुए संसद से इस संबंध में कानून बनाने पर विचार करने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि एक जज ने कहा कि अगर इस कुप्रथा को कुरान में पाप कहा गया है तो इस आधार पर यह अवैध है.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हम किसी शरीया में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. यह पूरा विधेयक तलाक-ए-बिद्दत पर आधारित है. यह विधेयक किसी धर्म, मजहब या पूजा से नहीं जुड़ा बल्कि लैंगिक समानता के लिए है.
चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने इस कानून के लागू होने के बाद इसका दुरुपयोग मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ होने की आशंका जताई. उन्होंने कहा कि अगर इस कानून में तीन साल की सजा के प्रावधान को देखें तो यदि दोषी पति जेल में है तो पीड़ित महिला को गुजारा भत्ता कौन देगा, इस पर सरकार ने विचार नहीं किया. सुष्मिता ने पूछा कि क्या इस काम के लिए सरकार कोई निधि बनाएगी.
भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति के कारण मुस्लिम महिलाओं को परेशान होना पड़ा.आज मुस्लिम महिलाएं यह देखकर फैसला लेंगी कि उनके अधिकारों के लिए कौन खड़ा है और कौन उनके खिलाफ खड़ा है.मैं मुस्लिम बहनों को बताना चाहती हूं कि जब आपके नरेंद्र मोदी जैसे भाई हों, तब डरने की कोई जरूरत नहीं है. हम उनके अधिकारों के लिए खड़े हैं.
कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम सब विधेयक के पक्ष में हैं लेकिन इसमें कुछ खामियां और अनिश्चितताएं हैं और सरकार ने भी एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि इस विधेयक के मसौदे को तैयार करने से पहले उसने किसी संगठन और अन्य पक्षों से मशविरा नहीं किया है. ऐसे में कमियों को दूर करने के लिए विधेयक को संसदीय स्थाई समिति को भेजना चाहिए. एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि विधेयक मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है.
बहरहाल, रविशंकर प्रसाद ने कहा कि न्यायपालिका समय-समय पर अपने फैसलों में एक बार में तीन तलाक कहकर पत्नी से रिश्ता खत्म करने की मुस्लिम समुदाय की प्रथा पर चिंता जताती रही है.
उन्होंने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उम्मीद थी कि स्थिति सुधरेगी. लेकिन उसके बाद भी देश में सौ से अधिक मामले तीन तलाक के सामने आये हैं. इस साल तीन तलाक के तीन सौ मामले दर्ज किए गए हैं.
मंत्री ने कहा कि जब बांग्लादेश, मिस्र, मोरक्को, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, ईरान, श्रीलंका, मलेशिया और पाकिस्तान जैसे देश ‘तीन तलाक’ की प्रथा को लेकर नियम लाते रहे हैं तो भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय होने पर हम खामोश कैसे रहेंगे.