लखनऊ, उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने बुधवार को संसदीय शोध, संदर्भ एवं अध्ययन समिति की प्रथम बैठक का उदघाटन किया और इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस समिति का मुख्य उद्देश्य सदस्यों में संसदीय विषयों पर अध्ययन एवं शोध में अभिरूचि उत्पन्न करना है। संसदीय प्रणाली को सफल बनाने में अपना सक्रिय योगदान देकर संसदीय प्रणाली के सफल क्रियान्वयन में उत्पन्न हो रही समस्याओं को सुलझाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना का है।
श्री दीक्षित ने इस अवसर पर सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सदन में 60 प्रतिशत से भी अधिक नये लोग प्रथम बार सदन में चुनकर आये हैं। वह बहुत जिज्ञासु, प्रबुद्ध एवं संसदीय व्यवस्था में अपना योगदान देने के लिए सदैव अतुर रहते हैं। नई परिस्थितियों में लोकतांत्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत नई चुनौतियाँ आयी हैं। सदन में नियम व समय की कमी आदि ऐसे कारक होते हैं जिनमें सभी सदस्यों को अपने सुन्दर विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर नहीं मिल पाता। इस समिति में मिल-बैठकर संसदीय प्रणाली को कैसे बेहतर बना सकते हैं। उसमें चिन्तन और निष्कर्ष निकलाने और इसे प्रयोग में लाने का अवसर प्राप्त होता है।
श्री दीक्षित ने प्रश्नकाल के बारे में बोलते हुए कहा कि प्रश्नोत्तर काल संसदीय परिपाटी में सर्वोपरि महत्व का होता है। इसमें विभिन्न विषयों पर सदस्यगण प्रश्न पूँछकर नौकरशाही को जवाबदेह बना सकते हैं। प्रशासन को पारदर्शी बनाने में अपना अप्रितम योगदान दे सकते हैं।