नईदिल्ली,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की प्रतिनिधिसभा की बैठक मार्च 2018 में नागपुर में होगी। इस बैठक में संघ के सरकार्यवाह का चुनाव किया जाएगा। इस प्रतिनिधिसभा बैठक को सन 2025 में उसके शताब्दी वर्ष की तैयारियों के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सरसंघ चालक के बाद सरकार्यवाह का पद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद होता है। खास बात यह भी है कि संघ में सरकार्यवाह ही प्रशासनिक और संगठनात्मक तरीके से कामकाज पर नजर रखते हैं। सरसंघचालक अभी मोहन भागवत हैं। सरसंघचालक मनोनीत किए जाते हैं, जबकि सरकार्यवाह का चुनाव होता है। संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि अगले वर्ष मार्च में संघ की प्रतिनिधिसभा की बैठक होगी। इस बार प्रतिनिधिसभा की बैठक इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें सरकार्यवाह का चुनाव होगा। सरकार्यवाह का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है।
संघ के सरकार्यवाह अभी भैय्याजी जोशी हैं और उनका कार्यकाल मार्च 2018 में पूरा हो रहा है। ऐसे में प्रतिनिधिसभा में सरकार्यवाह का निर्वाचन होगा। वरिष्ठता के लिहाज से दत्तात्रेय होसबोले नए सरकार्यवाह हो सकते हैं। इसके साथ ही संघ के अलग-अलग संगठनों में भी फेरबदल होने की संभावना है। इस सबका मकसद संघ के शताब्दी वर्ष यानी 2025 तक संघ का पूरे देश में विस्तार करना है।
संघ की स्थापना 27 सितम्बर 1925 को नागपुर में हुई थी। इसकी स्थापना केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संघ का प्रयास अपने शताब्दी वर्ष तक संगठन का विस्तार समूचे देश में करना है। इसके लिए 2019 का लोकसभा चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि इस चुनाव में जीत के बाद 2024 तक केंद्र में भाजपा की सरकार बरकरार रही तो ही संघ का विस्तार पूरे देश में हो पाएगा। पदाधिकारी ने बताया कि इस बैठक में 1400 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे जो नए सरकार्यवाह के चुनाव में हिस्सा लेंगे।