नई दिल्ली, मंगलयान और एक साथ 104 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने के बाद आज भारत ने जमीन पर भी इतिहास रच दिया। दिल्ली में बिना ड्रावर वाली मेट्रो (ड्राइवरलेस) ट्रेन दौड़ पड़ी। भारत अमेरिका के साथ अपने पड़ोसी देश चीन के बरक्स खड़ा हो गया है, जहां इस ड्राइवरलेस ट्रेन की शुरुआत हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 93वें जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को यह सुनहरा तोहफा भेंट किया। नोएडा में हुए शुभारंभ कार्यक्रम में मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बॉटनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन पर बटन दबाकर उद्घाटन किया। पहले फेज के तहत यह ट्रेन कालकाजी मंदिर तक चलेगी। मोदी ने इस मेट्रो में ओखला बर्ड सेंचुरी तक सफर भी किया। यह मजेंटा लाइन का तोहफा दिया। मेट्रो नोएडा और फरीदाबाद के बीच दूरी को कम करेगी। इससे लोगों का पैसा और समय दोनों ही बचेंगे। गौरतलब है कि 24 दिसंबर, 2002 को अटल बिहारी वाजपेयी देश की मेट्रो रेल के पहले यात्री थे। आज 15 साल पूरे होने पर उनके ही जन्म दिन पर ड्राइवर लेस मेट्रो चलाई गई।
यहां पहले से दौड़ रही ट्रेनें
डेनमार्क, स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन (यूरोप), अमेरिका, कनाडा, चीन, ब्राजील, पेरू
दिल्ली में मेट्रो का तीसरा फेज
दिल्ली में तीसरे फेज की मेट्रो लाइनों पर काम तेजी से जारी है। यहां पर चालक रहित ट्रेन चलाई जाएंगी। मुकंदपुर से शिव विहार वाली पिंक लाइन और जनकपुरी से बोटानिकल गार्डन वाली मेजेंटा लाइन है।
बिना ड्राइवर चलती है ट्रेन
चालक रहित ट्रेन से मतलब कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम से है, जिसमें ट्रैक पर चलने वाली सभी ट्रेनें आपस में और कंट्रोल रूम से डिजिटल रेडियो कम्यूनिकेशन के जरिए एक दूसरे से जुड़ी होती हैं। सभी ट्रेनें 6 कोच वाली हैं और सीबीटीसी यानी ड्राइवरलेस ऑपरेशन तकनीकी से लैस हैं। इस तरह की ट्रेनों में ड्राइवर केबिन नहीं होगा। अन्य मेट्रो की तुलना में इसमें 40 ज्यादा यात्री सफर कर पायेंगे।
सब कुछ ऑटोमेटिक होगा
ट्रेन का चलना, रुकना, स्पीड पकडऩा, ब्रेक लगाना, दरवाजों का खुलना और बंद होना, साथ ही इमरजेंसी हालात को कंट्रोल करना सब कुछ आटोमैटिक (स्वत:) होगा। ट्रेन के सामने एक कैमरा लगा होता है। यह आगे की पूरी तस्वीर लाइव कंट्रोल रूम में दिखाता है। ट्रेन में अंदर लगे सीसीटीवी कैमरे की लाइव सीन कंट्रोल रूम में बैठे विशेषज्ञ देख सकेंगे।
हादसा हुआ तो ऐसे बचेंगे
ट्रेन में ओडीडी मशीन ट्रैक पर लगाई गई हैं जो ट्रैक पर आने वाली किसी छोटी रुकावट को हटाकर ट्रेन को पटरी से उतरने से बचाएगी।
पद जाने के डर से 35 साल से कोई मुख्यमंत्री नहीं आया
नोएडा आकर योगी ने तोड़ा अंधविश्वास
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कपड़े देखकर कुछ लोग कहते हैं, वे कहते हैं पुराने खयालों के होंगे, पोगापंथी होंगे, लेकिन योगी ने 29 वर्ष के अंधविश्वास को तोड़ दिया। दरअसल, यूपी का हिस्सा होने के बावजूद कोई मुख्यमंत्री यहां नहीं आता था। यूपी में करीब 35 सालों से एक अंधविश्वास सभी मुख्यमंत्रियों पर हावी था कि जो भी नोएडा आता है उसकी कुर्सी चली जाती है। उत्तर प्रदेश का ये हाइटेक शहर मुख्यमंत्रियों के दर्शन के लिए तरसता रहा। समाजवादी विचारधारा वाले मुख्यमंत्री भी इसी डर से नोएडा नहीं आते थे। पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग कुर्सी के जाने के डर से जीते हैं उनको मुख्यमंत्री बनने का कोई अधिकार नहीं है। मोदी ने कहा कि श्रद्धा का अपना स्थान होता है लेकिन अंधश्रद्धा के लिए कोई जगह नहीं होता है।
दरअसल इस अंधविश्वास के पीछे कई बातें जुड़ी थीं जो इस दावे के पुख्ता करती थीं। बात 1982 में यूपी में विश्वनाथ प्रताप सिंह मुख्यमंत्री थें। तत्कालीन यूपी के सीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह नोएडा में वीवी गिरी श्रम संस्थान का उद्घाटन करने आए थे। उसके बाद वह मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा। 1988 में यूपी में वीर बहादुर सिंह मुख्यमंत्री थें। एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह फिल्म सिटी स्थित एक स्टूडियो में आए। उन्होंने कालिंदी कुंज पार्क का उद्घाटन किया था। उसके कुछ माह बाद ही वह मुख्यमंत्री पद से हट गए। एक ऐसी ही घटना नारायण दत्त तिवारी के साथ भी जुड़ी हुई है। वीर बहादुर सिंह के सीएम पद से हटने के बाद नारायण दत्त तिवारी यूपी के मुख्यमंत्री बनेद्ध वह भी नोएडा के सेक्टर 12 स्थित नेहरू पार्क का उद्घाटन करने वर्ष 1989 में आए, उसके कुछ समय बाद वह भी मुख्यमंत्री पद से हटा दिये गये।
महाराष्ट्र ने भी रचा कीर्तिमान
मुंबई में दौड़ी पहली एसी लोकल ट्रेन
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में क्रिसमस के मौके पर सोमवार को पहली एसी लोकल ट्रेन चली। यह बोरीवली स्टेशन से चर्चगेट के लिए रवाना हुई। इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। एक ट्रेन में 5964 यात्री सफर कर पायेंगे।12 बोगियों की इस ट्रेन का किराया सामान्य लोकल के फस्र्ट क्लास के किराए से थोड़ा ज्यादा रखा गया है। एसी ट्रेन होने की वजह से इसमें भीड़ की आशंका है। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए ट्रेन में बाउंसर तैनात किया जा सकता है। मुंबई लोकल में प्रतिदिन 65 लाख से ज्यादा लोग सफर करते हैं।