नई दिल्ली,बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के पांच राज्यों में फैले आश्रमों छापे मारी की जा रहा है, तो दूसरी ओर वीरेंद्र दीक्षित के भक्तों और चाहने वालों के बीच भी बाबा को लेकर एक बड़ी दीवार खिंच गई है। एक उन्हें राक्षस तो दूसरा भगवान बता रहा है।
बांदा के कलमोड़ी गांव में बाबा के दो भाइयों भैयालाल कुशवाहा और बाबूलाल कुशवाहा की बाबा पर राय अलग है। इन दोनों भाइयों और उनके परिवारों की लड़कियों ने एक दशक से ज्यादा बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रमों में गुजारा है। भैयालाल कुशवाहा अपनी पत्नी बहू और बेटी को आश्रम से निकाल लाए, जबकि बाबूलाल कुशवाहा परिवार आज भी आश्रम से जुड़े हैं और उतनी ही अटूट आस्था के साथ।
भैयालाल के परिवार ने अपने घर की लड़कियों और दूसरे सदस्यों को आश्रम के नाम कर दिया है और बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के तीमारदारी में गुजार दिया है। अब वही परिवार बाबा पर हुए खुलासे के बाद वीरेंद्र देव दीक्षित को राक्षस जैसे शब्दों से नवाज रहा है।
भैया लाल कुशवाहा कहते हैं कि वीरेंद्र दीक्षित, इंसान के वेश में शैतान है, जो खुद को भगवान मानता है. उसके आश्रम में गलत काम होते है. भैया लाल के मुताबिक वीरेंद्र दीक्षित के बारे में आश्रम की महिलाओं ने बताया कि उसके लड़कियों से गलत रिश्ते होते हैं, जो खुद को भगवान बताकर करता है। भैयालाल वीरेंद्र दीक्षित से इतने नाराज हैं कि अब वह गांव-गांव घूम-घूमकर पाखंडी बाबा की पोल खोलने पर उतारू है। भैयालाल चाहते हैं कि बाबा को कड़ी से कड़ी सजा मिले। इस कनमोड़ी गांव में भैया लाल कुशवाहा के भाई बाबूलाल कुशवाहा हैं, जो आज भी वीरेंद्र देव दीक्षित के अंधभक्त हैं| उनके मुताबिक वीरेंद्र देव दीक्षित इंसान नहीं भगवान है और भगवान जब इंसान के वेश में होते हैं तो उनकी परीक्षा ली जाती है। .